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लाल आतंक से मुक्ति का महाभियान, 2024 की शुरूआत से अब तक मारे गए 100 से ज्यादा माओवादी


रायपुर ( न्यूज)। छत्तीसगढ़ को लाल आतंक से मुक्त कराने के लिए चलाए जा रहे अभियान के नतीजे शानदार रहे हैं। पिछले करीब एक महीने में ही तीन बड़े एनकाउंटर हुए हैं। वहीं वर्षारम्भ से लेकर अब तक 100 से ज्यादा नक्सली ढेर हो चुके हैं। इसे भाजपा की विष्णुदेव साय सरकार के सख्त एक्शन के रूप में देखा जा रहा है। छत्तीसगढ़ का बस्तर, बीजापुर, सुकमा, दंतेवाड़ा, कांकेर, गरियाबंद, नारायणपुर, बस्तर, कोंडागांव, कोरबा और मुंगेली का क्षेत्र दशकों से नक्सलियों के आतंक से जूझ रहा है। घने जंगल, दुर्गम इलाके और कमजोर सामाजिक-आर्थिक स्थिति का फायदा उठाते हुए नक्सली ग्रामीणों को डराते-धमकाते हैं। उनसे कर वसूलते हैं और सरकारी योजनाओं में बाधा डालते हैं। यही नहीं कई बार ये हिंसक घटनाओं को अंजाम देते हैं, जिसमें मासूमों की जान चली जाती है। इन नक्सलियों पर नकेल कसने के लिए हाल के वर्षों में सुरक्षा बलों ने नक्सलियों के खिलाफ अभियान तेज किया है, जिसके परिणामस्वरूप बड़ी संख्या में नक्सली मारे जा रहे हैं।

गौरतलब है कि शुक्रवार को छत्तीसगढ़ के बीजापुर में एक मुठभेड़ में सुरक्षाबलों ने 12 नक्सली मार गिराए। पिछले एक महीने में नक्सलियों के खिलाफ सुरक्षा बलों का यह तीसरा बड़ा ऑपरेशन था। कुछ समय पहले ही कांकेर में सुरक्षा बलों ने तीन नक्सलियों को मार गिराया था। 2024 में छत्तीसगढ़ के नक्सल क्षेत्रों में अब तक सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ों में 103 नक्सली मारे जा चुके हैं। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने मीडिया से बात करते हुए खुद जानकारी दी है। उन्होंने कार्रवाई के लिए सुरक्षा बलों और वरिष्ठ अधिकारियों को बधाई दी। सीएम साय ने कहा कि जबसे बीजेपी सरकार में आई है, हम नक्सलवाद के साथ मजबूती से लड़ रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह भी चाहते हैं कि छत्तीसगढ़ से नक्सलवाद समाप्त हो। डबल इंजन की सरकार है तो इसका भी लाभ हम लोगों को मिल रहा है।

तीन मुठभेड़ में 51 नक्सली ढेर
कांकेर जिले में 16 अप्रैल को सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में 29 नक्सली मारे गए थे। डीआरजी और बीएसएफ की संयुक्त टीम को नक्सलियों की गतिविधि की सूचना मिली थी। सुरक्षा बलों ने इलाके को घेरा नक्सलियों के साथ मुठभेड़ शुरू हो गई। लगभग चार घंटे तक चली इस मुठभेड़ में 29 नक्सली मारे गए, जिनमें कई महिला नक्सली भी शामिल थीं। मारे गए नक्सलियों में 25 लाख रुपए का इनामी शंकर राव और 25 लाख रुपए की इनामी ललिता भी शामिल थी। राज्य में दूसरी मुठभेड़ नारायणपुर और कांकेर जिलों की सीमा पर स्थित जंगलों में हुई। इस मुठभेड़ में 10 नक्सली मारे गए थे। यह मुठभेड़ अबूझमाड़ इलाके में टेकमेटा और काकुर गांवों के बीच हुई। डीआरजी और एसटीएफ की एक संयुक्त टीम को नक्सलियों के मूवमेंट की सूचना मिली थी। इसके बाद सुरक्षा बलों ने इलाके को घेर लिया और नक्सलियों के साथ मुठभेड़ शुरू हो गई। मुठभेड़ में मारे गए 10 नक्सलियों में तीन महिलाएं भी शामिल थीं। इसके अलावा मुठभेड़ में एक एके-47 राइफल, गोला-बारूद और विस्फोटक भी बरामद किए गए। यह मुठभेड़ नारायणपुर और कांकेर जिलों में नक्सलियों के खिलाफ सुरक्षा बलों की बड़ी सफलता मानी जा रही है। 10 मई को बीजापुर जिले के गंगालूर थाना क्षेत्र के तहत पीडिय़ा गांव के जंगल में सुरक्षाबलों ने मुठभेड़ में 12 नक्सलियों को मार गिराया। गंगालूर थाना क्षेत्र में सुरक्षाबलों को नक्सल विरोधी अभियान में रवाना किया गया था। दल जब पीडिय़ा गांव के जंगल में था, तब नक्सलियों ने सुरक्षाबलों पर गोलीबारी शुरू कर दी। इसके बाद सुरक्षाबलों ने भी जवाबी कार्रवाई की। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि सुरक्षाबलों ने इस घटना में मारे गए पांच नक्सलियों का शव बरामद किए है। नक्सलियों की पहचान की जा रही है। उन्होंने बताया कि क्षेत्र में खोजी अभियान जारी है।

लगातार मिल रही सफलता
नक्सलियों के गढ़ बस्तर संभाग को नक्सलवाद से मुक्त कराने के लिए छत्तीसगढ़ में जवानों ने अभियान चला रखा है। लगातार नक्सलियों का एनकाउंटर हो रहा है और इसमें पुलिस के साथ ही सुरक्षा बल के जवानों को जबरदस्त सफलता मिल रही है। हालिया सम्पन्न लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद के खात्मे के प्रति प्रतिबद्धता दिखाई थी। हालांकि चुनाव के समय से ही नक्सलियों के खिलाफ अभियान शुरू हो चुका था। पुलिस महानिरीक्षक बस्तर रेंज सुन्दरराज पी ने बताया गया कि वर्ष 2024 में अब तक प्रतिबंधित एवं गैर कानूनी सीपीआई माओवादी संगठन के विरूद्ध संचालित अभियानों के परिणामस्वरूप बस्तर रेंज अंतर्गत कुल 100 माओवादियों के शव बरामद करने के साथ ही अत्याधुनिक हथियारों में दो एलएमजी, चार एके-47- 04, एक एसएलआर, तीन इंसास, चार 303 रायफल और चार 9 एमएम पिस्टल सहित बहुतायत संख्या में अन्य विस्फोटक सामग्री बरामद की गई है। बस्तर से लाल आतंक को कुचलने और इस आदिवासी अंचल को माओवाद से मुक्त कराने के लिए चलाए गए अभियान को राज्य की विष्णुदेव साय सरकार का पूरा सहयोग मिल रहा है। यही वजह है कि लगातार एनकाउंटर में माओवादियों को मार गिराया जा रहा है। हालांकि इन मुठभेड़ों को लेकर कांग्रेस नेताओं के बयान भी सुर्खियों में रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल नक्सल-मुठभेड़ पर सवाल उठा चुके हैं। जबकि नक्सलियों ने स्वयं स्वीकार किया था कि मुठभेड़ों में उनके लोग मारे जा रहे हैं।

जारी रहेगा आपरेशन क्लीन स्वीप
नक्सलियों के खिलाफ छत्तीसगढ़ में चलाए जा रहे आपरेशन क्लीन स्वीप को मिल रही सफलता से न केन्द्र बल्कि राज्य की सरकार भी गदगद है। अफसरों का दावा है कि यह अभियान आने वाले दिनों में भी लगातार जारी रहेगा। इस अभियान के तहत नक्सलियों को ढूंढ-ढूंढकर मारा जा रहा है। जबकि इससे पहले फोर्स को जंगलों के भीतर जाने की अनुमति नहीं थी। राज्य में हुए सत्ता परिवर्तन के बाद नए सिरे से रणनीति तैयार कर नक्सलियों की घेराबंदी शुरू की गई। प्रदेश की भाजपाई सरकार के सख्त रूख का भी सकारात्मक परिणाम सामने आया। सुरक्षा बलों और पुलिस की लगातार कार्रवाइयों का असर है कि नक्सलियों का आतंक धीरे-धीरे खत्म हो रहा है। इसका स्पष्ट प्रमाण इस बार लोकसभा चुनाव में भी देखने को मिला, जहां आदिवासियों ने नक्सल-फरमान के बावजूद घर से निकलकर मतदान किया। दरअसल, लाल आतंक से मुक्ति के इस महाभियान के पीछे गोपनीय-तंत्र की भूमिका भी बेहद अहम है। एक ओर जहां नक्सली, ग्रामीणों को पुलिस का मुखबिर बताकर मार रहे हैं, वहीं दूसरी ओर पुलिस और सुरक्षा बलों को भी नक्सलियों की पल-पल की खबर मिल रही है। केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह से लेकर राज्य के गृहमंत्री विजय शर्मा और तमाम आला अधिकारियों की पैनी नजर नक्सलियों के खिलाफ चल रहे इस अभियान पर लगी हुई है।