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अप्रैल रहा ठंडा अब बढ़ेगी गर्मी, मौसम विभाग की चेतावनी 44 के पार जाएगा पारा


मौसम विभाग ने दी है हीटवेव की चेतावनी, घर से निकले तो रहे सावधान

भिलाई। छत्तीसगढ़ में अब मौसम बदलने वाला है। गर्मी के सीजन में अप्रैल माह अपेक्षाकृत ठंडा रहा है, वहीं मई माह में भीषण गर्मी पढ़ने की संभावना जताई गई है। मौसम विभाग ने भी हीट वेव की चेतावनी जारी की और इस दौरान बचाव के तरीके भी बताएं हैं। मौसम विभाग के मुताबिक अप्रैल में वेस्टन डिस्टरबेंस और सिस्टम बनने के कारण अधिकतम तापमान अब पहले जैसा नहीं पहुंच रहा है। अगले 3 दिनों में अधिकतम तापमान में 2 से 5 डिग्री बढ़ोतरी होगी। इसके साथ ही अधिकतम तापमान 44 के पार जा सकता है।

सोमवार को प्रदेश में सबसे ज्यादा अधिकतम तापमान 43 डिग्री डोंगरगढ़ में रिकॉर्ड किया गया। सबसे कम न्यूनतम तापमान 19.6 जशपुर में रिकॉर्ड किया गया16 जिलों में अधिकतम तापमान 40 डिग्री के पार पहुंच गया है। रायपुर में सोमवार को 41 डिग्री तापमान रिकॉर्ड किया। दुर्ग भिलाई में सोमवार को तापमान 40 डिग्री के पार रहा जो आगे जाकर और बढ़ सकता है। इसी प्रकार बिलासपुर में अधिकतम तापमान 40.8 डिग्री रिकॉर्ड किया गया। भारतीय मौसम विभाग द्वारा जारी मौसमी दृष्टिकोण के अनुसार प्रदेश सहित जिले में मई का औसत तापमान अधिक होने की संभावना है। अधिकांश भागों में लू-तापघात की स्थिति निर्मित हो सकती है।

मौसम विभाग ने हीटवेव की चेतावनी
मौसम को ध्यान में रखते हुए राज्य में लू-तापघात से आवश्यक तैयारी एवं बचाव के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश तैयार किये गये हैं। इसमें लू के लक्षण एवं बचाव के कारण बताये गये हैं। लू के सामान्य लक्षणों में सिर से भारीपान और दर्द होना, तेज बुखार के साथ मुंह का सूखना, चक्कर और उल्टी आना, कमजोरी के साथ शरीर में दर्द होना, शरीर का तापमान अधिक हो जाने के बाद भी पसीने का न आना, अधिक प्यास और पेशाब कम आना, भूख कम लगना तथा बेहोश होना।

लू से बचाव के उपाय
लू लगने का प्रमुख कारण तेज धूप और गर्मी से ज्यादा देर तक रहने के कारण शरीर में पानी और खनिज मुख्यतया नमक की कमी हो जाना होता है। अतः इससे बचाव के लिए निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए- बहुत अनिवार्य न हो तो घर से बाहर ना जाए। धूप से निकलने से पहले सर व कानों को कपड़े से अच्छी तरह से बांध लें। पानी अधिक मात्रा में पीये और अधिक समय तक धूप में न रहें। गर्मी के दौरान नरम मुलायम सूती कपड़े पहनने चाहिए ताकि हवा और कपड़े पसीने को सोखते रहे। इसी प्रकार अधिक पसीना आने की स्थिति में ओ.आर.एस. घोल पीयें। चक्कर आने, उल्टी आने पर छायादार स्थान पर विश्राम करें तथा शीतल पेय जल अथवा उपलब्ध हो तो फल का रस, लस्सी, मठा आदि का सेवन करें। प्रारंभिक सलाह के लिए 104 आरोग्य सेवा केन्द्र से निःशुल्क परामर्श लिया जाए और उल्टी, सर दर्द, तेज बुखार की दशा में निकट के अस्पताल अथवा स्वास्थ्य केन्द्र से जरूरी सलाह लिया जाए। 

लू लगने पर किये जाने वाला प्रारंभिक उपचार
बुखार पीड़ित व्यक्ति के सर पर ठण्डे पानी की पट्टी लगावें, अधिक पानी व पेय पदार्थ पिलावें जैसे कच्चे आम का पना, जल जीरा आदि, पीड़ित व्यक्ति को पंखे के नीचे हवा में लिटा देवें, शरीर पर ठण्डे पानी का छिड़काव करते रहें, पीड़ित व्यक्ति को यथाशीघ्र किसी नजदीकी चिकित्सा केन्द्र में उपचार हेतु ले जाए तथा मितानिन ए.एन.एम. से ओ.आर.एस. के पैकेट हेतु संपर्क करें।

लू लगे तो यह न करें
गर्मी के दौरान बाहर न जाए, यदि आपको आवश्यक कार्य के लिए बाहर जाना है तो दिन के शीतलन घंटो के दौरान अपनी सारणी निर्धारित करने का प्रयास करें। अत्यधिक गर्मी के घंटो के दौरान बाहर जाने से बचे (विशेष रूप से दोपहर 12 बजे से 3 बजे के बीच), नंगे पैर या बिना चेहरे को ढ़के और बिना सिर ढककर बाहर न जाए। व्यस्थतम समय (दोपहर) के दौरान खाना पकाने से बचे, खाना पकाने वाले क्षेत्रों (रसोई घरों) में दरवाजे और खिड़कियां खोल कर रखें, जिससे पर्याप्त रूप से हवा आ सके। शराब, चाय, कॉफी और कार्बोनेटेड पेय, पीने से बचे जो शरीर को निर्जलित करते हैं। उच्च प्रोटीन, मसालेदार और तेलीय भोजन खाने से बचे, बासी खाना न खाए। बीमार होने पर बाहर धूप में न जाए, घर पर रहे।

हीट वेव क्या करें और क्या न करें
जितना हो सके पर्याप्त पानी पीये, भले ही प्यास न लगी हो। मिर्गी, हृदय, गुर्दे या लीवर से संबंधित रोग वाले जो तरल प्रतिबंधित आहार लेते हो, तरल पदार्थ लेने से पहले डॉक्टर से परामर्श लें। हल्के रंग के ढीले सूती कपड़े पहने। ओ.आर.एस. (ओरल रिहाइड्रेशन) घोल, घर का बना पेय लस्सी, (तोरानी चावल) का पानी, नींबू का पानी, छांछ आदि का उपयोग करें। बाहर जाने से बचे, यदि बाहर जाना आवश्यक है, तो अपने सिर (कपड़े/टोपी या छाता) और चेहरे को कवर करें। जहां तक संभव हो किसी भी सतह को छूने से बचें। जितना हो सके घर के अंदर रहें। अपने घर को ठंडा रखें-धूप से बचाव के लिए दिन में पर्दे, शटर का उपयोग करें और खिड़कियां खोलें। निचली मंजिलों पर बने रहने का प्रयास करे। पंखों का उपयोग करें, कपड़ों को नम करें और अधिक गर्मी में ठंडे पानी में ही स्नान करें। यदि आप बीमार महसूस करते हैं तो तुरंत डॉक्टर को दिखाये।