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कमार महिलाएं गढ़ रही है विकास की गाथा


रायपुर। जनजातीय समुदाय से आने वाली कमार महिलाएं अपने विकास की गाथा स्वयं लिख रही हैं। कमार जनजाति मुख्य रूप से गरियाबंद जिले के छुरा, और धमतरी जिले के नगरी और मगरलोड विकासखण्डों में पाई जाती है। भारत सरकार द्वारा इन्हें विशेष पिछड़ी जनजाति का दर्जा दिया गया है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के सरकार में विशेष पिछड़ी जनजाति परिवारों को आर्थिक, सामाजिक व शैक्षणिक उत्थान के लिए विशेष कार्य किए जा रहे हैं। छत्तीसगढ़ शासन द्वारा कमार परिवारों को स्वरोजगार से जोडऩे के लिए विशेष प्रयास किए जा रहे हैं। विशेष पिछड़ी कमार जनजाति की महिलाओं की आजीविका का मुख्य साधन बांस की कारीगरी और पारंपरिक खेती करना है। महासमुन्द जिले के पिथौरा ब्लॉक से 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित, गाँव सोनासिल्ली अब समृद्धि की ओर अग्रसर हो रहा है।

बिहान योजना के तहत, ग्राम सोनासिल्ली में तकेश्वरी कमार और सचिव गीता कमार के नेतृत्व में महिला विकास और सशक्तिकरण का एक नया अध्याय शुरू हुआ। कमार महिलाओं ने स्व सहायता समूह का गठन किया गया। इस समूह ने 15,000 रुपए के अनुदान के साथ आत्मनिर्भरता की नई शुरूआत की है। अपने कौशल और संसाधनों का उपयोग करते हुए, उन्होंने बांस की कारीगरी में हाथ आजमाया और आज बांस से सुन्दर सजावटी सामग्री बनाकर दुकानों में भी विक्रय कर रही है। बांस की सामग्रियों को बेहतरीन कला कृतियों में बदल दिया।