हमारे बारे में

छत्तीसगढ़ प्रदेश का एक विश्वसनीय न्यूज पोर्टल है, जिसकी स्थापना देश एवं प्रदेश के प्रमुख विषयों और खबरों को सही तथ्यों के साथ आमजनों तक पहुंचाने के उद्देश्य से की गई है।

मेंटल हेल्थ को लेकर होगा सर्वे, दवाई के साथ काउंसलिंग की कॉम्बिनेशन थैरेपी भी


– कलेक्टर ने ली जिला स्वास्थ्य समिति की बैठक, पब्लिक अवेयरनेस बढ़ाने पर दिया जोरा

-स्वास्थ्य विभाग बनाएगा कार्ययोजना, न्यूरो फिजियोथेरेपी से सेरेब्रल पालिसी और पैरालिसिस के रोगियों का होगा उपचार

       दुर्ग। जिला स्वास्थ्य समिति की बैठक का आयोजन कलेक्ट्रेट सभागार में कलेक्टर पुष्पेंद्र कुमार मीणा की उपस्थिति में किया गया था। बैठक में कलेक्टर द्वारा स्वास्थ्य विभाग को नवाचार की दिशा में सकारात्मक कदम उठाने के लिए निर्देशित किया। जिसमें उन्होंने मेंटल हेल्थ के ऊपर योजनाबद्ध तरीके से कार्य करने के निर्देश संबंधित अधिकारियों को दिए। उन्होंने कहा कि मेंटल हेल्थ को लेकर पब्लिक अवेयरनेस कम है, खासकर ग्रामीण क्षेत्र में इसलिए अवेयरनेस प्रोग्राम के माध्यम से डोर टू डोर कैंपेन करने की आवश्यकता है। उन्होंने इसके सर्वे के लिए एक स्किल्ड टीम गठित करने के निर्देश संबंधित अधिकारियों को दिए। जो कि डोर टू डोर सर्वे कर ऐसे मामलों का आंकड़ा इकट्ठा कर सकते हैं। उन्होंने साइकेट्रिक के साथ-साथ साइकोलॉजिस्ट की टीम बनाने की बात कही ताकि मनोरोगियों की काउंसलिंग की जा सके। उन्होंने दवाई के साथ-साथ कांउसलिंग की कॉम्बिनेशन थैरेपी पर विशेष जोर दिया।

मष्तिष्क पक्षाघात व लकवे की स्थिति में फिजियोथेरेपी को दिया जाएगा बढ़ावा – कलेक्टर ने सेरेब्रल पालिसी और पैरालिसिस की स्थिति में की जाने वाली सामान्य उपचार की क्रियाविधि के साथ-साथ फिजियोथेरेपी जैसी पद्धति को अपनाने के लिए विशेष जोर दिया। उन्होंने कहा फिजियोथेरेपी में भी न्यूरो का एक सेक्शन होता है यदि स्वास्थ्य विभाग न्यूरो फिजियोथेरेपिस्ट की सेवाएं मरीजों को उपलब्ध कराएगा तो उनके रिकवरी के चांसेस बढ़ते हैं। इसमें बिस्तर में पड़े मरीजों के लिए उनके घर पर कलेक्टर ने सुविधा उपलब्ध कराने के लिए कार्य योजना बनाने के लिए संबंधित अधिकारी को निर्देशित किया। जिसमें वेन के माध्यम से डोर-टू-डोर सुविधाएं उपलब्ध कराई जा सके।

          बैठक में मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य मातृत्व एवं शिशु स्वास्थ्य, मातृ मृत्यु दर, शिशु मृत्यु दर, गैर संचारी रोग नियंत्रण कार्यक्रम अंतर्गत एन.पी.सी.डी.सी.एच., एन.पी.सी.बी., एन.पी.पी.सी.डी., एन.ओ.एच.पी., एन.टी.सी.पी. व एन.एम.एच.पी. के विभिन्न बिंदुओं पर क्रमवार चर्चा की गई। संक्रमण रोग मलेरिया, डेंगू, स्वाइन फ्लू के अलावा कुष्ठ, टी.बी., अंधत्व नियंत्रण कार्यक्रम, परिवार कल्याण कार्यक्रम और आयुष्मान भारत को लेकर भी गहन चर्चा हुई।

          इस दौरान मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ जेपी मेश्राम, सिविल सर्जन डॉ वायके शर्मा, डॉ आरके खंडेलवाल, डॉ अनिल शुक्ला, डॉ एसके जामगड़े सहित स्वास्थ्य विभाग के संबंधित अधिकारी उपस्थित थे।