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छत्तीसगढ़ प्रदेश का एक विश्वसनीय न्यूज पोर्टल है, जिसकी स्थापना देश एवं प्रदेश के प्रमुख विषयों और खबरों को सही तथ्यों के साथ आमजनों तक पहुंचाने के उद्देश्य से की गई है।
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छत्तीसगढ चुनाव :- इस साल के आखिर में छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव (Chhattisgarh Assembly Election) होने हैं, इसकी तैयारियों को लेकर प्रदेश की दोनों मुख्य पार्टियां जोरशोर से तैयारी में जुटी हुई हैं. छत्तीसगढ़ का सबसे महत्वपूर्ण संभाग माने जाने वाले दुर्ग संभाग( Durg) पर सभी राजनीतिक पार्टियों की नजर है. क्योंकि इस संभाग से छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) समेत छह मंत्री आते हैं. इस संभाग में 20 सीटों में से 18 सीटों पर कांग्रेस (Congress) का कब्जा है. इसलिए गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने इस संभाग के सभी सीटों पर अच्छा प्रदर्शन करने के लिए विशेष रणनीति तैयार की है.
2018 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने दुर्ग संभाग में अच्छा प्रदर्शन किया था. कांग्रेस ने 20 सीटों में 18 सीटों पर जीत दर्ज किया था. छत्तीसगढ़ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी इसी संभाग के पाटन विधानसभा से विधायक हैं. इसके अलावा छत्तीसगढ़ के 12 मंत्रियों में से, सीएम बघेल सहित 6 मंत्री इसी संभाग से आते हैं. ऐसे में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव 2023 में सभी राजनीतिक पार्टियों के नेताओं की नजर इसी संभाग पर टिकी हुई है
अमित शाह ने दुर्ग संभाग के लिए बनाई रणनीतिदुर्ग
संभाग में 13 सीटें ऐसी है जहां बीजेपी जीतती रही है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल समेत दुर्ग संभाग के छह मंत्रियों की सीट पर भी बीजेपी को पिछले चुनावों में जीत मिली थी. इन 13 सीटों में कोई भी ऐसी सीट नहीं है, जहां लगातार कांग्रेस के विधायक ही जीतते हों. 2018 विधानसभा चुनाव में दुर्ग संभाग गवाने के बाद, अब यहां बीजेपी को अमित शाह की रणनीति का ही सहारा है. अमित शाह ने दुर्ग संभाग के 20 सीटों के लिए बीजेपी के पदाधिकारियों से चर्चा करके विशेष रणनीति बनाई है.
अमित शाह ने बनाई है ये विशेष रणनीति
छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद दुर्ग संभाग की जिन 13 सीटों पर दो या तीन चुनाव बीजेपी जीती थी. उनके लिए अमित शाह ने स्थानीय नेता, स्थानीय मुद्दा का फार्मूला दिया है. प्रदेश स्तर और केंद्रीय स्तर की एक विशेष टीम इस अभियान की मॉनिटरिंग करेगी. महीने में एक बार अमित शाह की टीम इसकी समीक्षा करेगी. अगले एक महीने में हर सीट पर कम से कम पांच मजबूत नेताओं की पहचान करके जिम्मेदारी सौंपी जाएगी. इन पांच नेताओं में से एक को विधानसभा का टिकट दिया जाएगा. इस पूरी प्रक्रिया में सामाजिक और जातिगत समीकरण का भी ध्यान रखा जाएगा.