हमारे बारे में
छत्तीसगढ़ प्रदेश का एक विश्वसनीय न्यूज पोर्टल है, जिसकी स्थापना देश एवं प्रदेश के प्रमुख विषयों और खबरों को सही तथ्यों के साथ आमजनों तक पहुंचाने के उद्देश्य से की गई है।
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Juvenile जुवेनाइल आर्थराइटिस बच्चों में होने वाली एक ऑटोइम्यून बीमारी है. आंकड़ों पर ध्यान दें तो हमारे देश में हर 1,000 बच्चों में से एक बच्चा इस बीमारी से प्रभावित है. इसमें 16 साल से कम उम्र के बच्चों में गठिया का सबसे आम रूप पाया जाता है. इसकी वजह से क्रोनिक दर्द, जोड़ों में विकृति, विकास में समस्या और डेली की एक्टिविटीज में परेशानी शुरू हो जाती है. अगर शुरुआत में ही जुवेनाइल आर्थराइटिस (Juvenile ýrthritis) पहचानकर इसका इलाज कराया जाए तो बच्चों में विकलांगता और जोड़ में परेशानी को रोका जा सकता है. इससे बचाव में डॉक्टर की दवा, लाइफस्टाइल में बदलाव और फिजिकल थेरेपी काफी मदद करती है. आइए जानते हैं इस बीमारी से जुड़ी हर एक डिटेल्स…
Juvenile जुवेनाइल आर्थराइटिस के लक्षण
ऐसे बच्चे जो जुवेनाइल आर्थराइटिस के शिकार होते हैं, उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. दर्द, जोड़ों में अकडऩ और कम चल-फिर पाने जैसी समस्याएं हो सकती हैं. इसके चलते रोजाना की एक्टिविटीज और स्कूल, खेलकूद में बच्चों को परेशानियां होती हैं. कई बार इस बीमारी में दूसरे बच्चों से खुद को कम आंक बच्चे आइसोलेशन में भी चले जाते हैं. ये बीमारी उनकी आंख, दिल, फेफड़े और पाचन तंत्र को भी प्रभावित कर सकता है.
Juvenile जुवेनाइल आर्थराइटिस का इलाज
माता-पिता को बचपन से ही बच्चे की हर गतिविधि पर नजर रखनी चाहिए। अगर उनमें इससे जुड़ी किसी भी तरह के संकेत दिखाई देते हैं तो तुरंत डॉक्टर के पास ले जाएं. क्योंकि सूजन से बच्चों की हड्डियों और जोड़ों में गंभीर समस्याएं हो सकती हैं. पैरेंट्स की देखभाल बच्चों की कठिनाई से बाहर आने में काफी मदद करती है. बच्चों को जुवेनाइल आर्थराइटिस से बचाने कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए…