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Religion : सुनि सीता दुख प्रभु सुख अयना, भरि आए जल राजीव नयना ।


नि सीता दुख प्रभु सुख अयना, भरि आए जल राजीव नयना ।
बचन कायँ मन मम गति जाही ।सपनेहु बूझिअ बिपति कि ताही।
कह हनुमंत बिपति प्रभु सोई । जब तव सुमिरन भजन न होई ।।

      Religion :     राम जी ने हनुमान जी से सीता का हाल पूछा है । सीताजी के दुख को सुनकर राम जी के नेत्र सजल हो उठते हैं । वे कहते हैं कि तन , मन व वचन से जो मुझमें लगा हो क्या स्वप्न में भी उसे विपत्ति पड़ सकती है । हनुमान जी कहते हैं प्रभु विपत्ति तो तभी होती है जब आपका सुमिरन व भजन नहीं होता है । 
    मित्रों ! जब तक हम आप अपने में लगे रहते हैं दुख आता ही आता है परंतु जब आप परमार्थ ( राम ) में लगते हैं तो दुख पास भी नहीं फटकता है अस्तु राम में लगें, राजाराम में लगें अथ जय जय राम, जय जय जय राम !