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छत्तीसगढ़ प्रदेश का एक विश्वसनीय न्यूज पोर्टल है, जिसकी स्थापना देश एवं प्रदेश के प्रमुख विषयों और खबरों को सही तथ्यों के साथ आमजनों तक पहुंचाने के उद्देश्य से की गई है।
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Bilaspur Latest News : बिलासपुर- एक फसल के पांच दुश्मन। पांच तरीकों से हमला। रक्षा पंक्ति मजबूत नहीं बनाई, तो यकीन मानिए हार तय है। इसलिए तैयार हो रही फसल की निगरानी बढ़ाएं क्योंकि चार प्रकार के कीट फसलों के बेहद करीब आ चुके हैं।
सितंबर का महीना, जिस प्रकार के मौसम के बीच गुजर रहा है, वह ऐसे कीट के लिए मुफीद है, जो धान की फसल के दिन ही सक्रिय होते हैं। वैसे तो माहो को सबसे ज्यादा खतरनाक कीट माना जाता है लेकिन ताजा स्थितियों में ब्लास्ट और तना छेदक जैसे कीट से फसलों को बचाने की कोशिश जारी है।
मौसम और तापमान, पूरा साथ दे रहा है तना छेदक और ब्लास्ट जैसे खतरनाक कीट परिवार को। पहला कीट,तना छेदक जो बालियों की परिपक्वता में मजबूती से रोक लगाता है, तो दूसरा याने ब्लास्ट को तेज हमलावर कीट माना जाता है क्योंकि यह कीट बालियों तक पहुंचने वाले पौष्टिक तत्व को रोकता है। चितरी और झुलसा फिलहाल शांत है।
कीट वैज्ञानिकों ने मौसम और तापमान की वर्तमान स्थिति को कीट प्रकोप के लिए सही मानते हुए किसानों को सलाह जारी की है कि धान की फसलों की निगरानी बढ़ाएं। खासकर पत्तियों और उनके रंग पर कड़ी नजर रखें। बदलाव नजर आने की स्थिति में फौरन विभाग को सूचित करें ताकि समय रहते कीट प्रकोप से बचा जा सके।
-भूरा माहो- बेहद खतरनाक। पत्तियों के रास्ते तना को निशाना बनाता है। पौष्टिक तत्व खींचता है। पीले पड़ते पौधे बाद में गिर जाते हैं। समूल सफाया।
– ब्लास्ट- तेज हमलावर। पत्तियों और तना को छेदते हुए बालियों तक पहुंचने वाले पौष्टिक तत्व को रोकता है। पत्तियां भूरी और स्लेटी हो जाती हैं। बालियां नहीं निकलतीं। पौधों की अकाल मौत।
-तनाछेदक- अचूक निशानेबाज। पत्तियों में छेद करते हुए तना में प्रवेश करता है। बालियां निकलने का रास्ता बंद करता है। निकल चुकी बालियों में दाने नहीं लगते। बालियों पर हमला।
-झुलसा- विकास का दुश्मन। जीवाणु जनित यह कीट पत्तियों की मदद से पौधों को बीमार करता है।आगे चलकर यह बीमारी विकास के सारे रास्ते बंद कर देती है। पत्तियों का पैरा की तरह दिखना, पहचान है इस बीमारी की।
कोमल पत्तियां खाने वाला यह कीट, अपनी लार से धागे का घेरा बनाता है। इससे बालियां नहीं निकलतीं। पत्तियों का भूरा होना और बालियों के घेरे से इस कीट के हमले की पहचान संभव है।
भूरा माहो के लिए- फेनोब्यूकार्न, इमिडाक्लोरप्रिड,ब्लास्ट के लिए- ट्राईसाईक्लोजोंल।चितरी के लिए- फोसालोन ट्राईजोकास। तना छेदक के लिए- करटॉप हाईड्रोक्लोराइड,क्लोरपायरीफॉस + सायपरमेथ्रिन। झुलसा के लिए- टेट्रासाईक्लीन हाईड्रोक्लोराइड।
भारत में धान की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है, लेकिन फसल की सही देखभाल न करने के कारण ज्यादा पैदावार नहीं मिल पाती। इसका प्रमुख कारण कीड़े एवं बीमारियां है। इस समस्या के समाधान के लिए फसलों की निगरानी करके कीड़े एवं रोगों के लक्षण की पहचान करें ताकि समय रहते उचित नियंत्रण का उपाय किया जा सके।
डॉ. अर्चना केरकेट्टा, सहायक प्राध्यापक (कीटशास्त्र), बीटीसी कॉलेज ऑफ़ एग्रीकल्चर एंड रिसर्च स्टेशन, बिलासपुर