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छत्तीसगढ़ प्रदेश का एक विश्वसनीय न्यूज पोर्टल है, जिसकी स्थापना देश एवं प्रदेश के प्रमुख विषयों और खबरों को सही तथ्यों के साथ आमजनों तक पहुंचाने के उद्देश्य से की गई है।
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GPM RAILWAY LAPARWAHI गौरेला पेंड्रा मरवाही छत्तीसगढ़ ! बिलासपुर कटनी रेल रूट की पटरियों और सीमेन्ट पोल को आपस में जकड़कर रखने वाले लॉक जिन्हे रेलवे की प्रचलित भाषा में जलेबी और तकनीकी रूप से ईआरसी और पेंडल क्लिप कहते हैं, ये इस रूट में सैकड़ों की सख्या में पटरियों से अलग हो गये है, पर बावजूद इसके रफतार से गाड़ियां रोजना इस रेल रुट पर दौड़ायी जा रहीं हैं। रेलवे रोजाना दो दर्जन यात्री रेलगाड़ियों के हजारों यात्रियों की जान खतरे में ड़ाल रहा है , जहां कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है , पर रेलवे के अधिकारी हैं कि मानों हादसे होने के इंतजार में बैठे हों….
GPM RAILWAY LAPARWAHI दरअसल पूरा मामला कटनी बिलासपुर रेल रुट में स्थित पेंड्रारोड़ रेलवे स्टेशन के पास खोड़री से भंनवारटंक रेल्वे स्टेशन का है, जहाँ पटरी को जकड़कर रखने वाला लॉक सैकड़ों की सख्या अपने जगहों से निकल गये है तो कुछ उखड़ गये है, जिससे कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है, इसके वावजूद रेल प्रबंधन मामले में गम्भीर नही है।
लापरवाही की हद तो तब हो गयी जब इस तरह से पटरी को पकड़कर रखने वाले पेंडल क्लिप सैकड़ों की संख्या में निकले हुये है, इसके बाद भी रेल्वे गाड़ियों की आवाजाही पर कोई गति सीमा कम करने या वार्निंग बोर्ड आदि या प्रतिबंध लगाने की भी जेहमत नहीं उठायी और और रोजाना इस रेल रुट से यात्री गाड़ियों के अलावा मालगाड़ी भी निकाली जा रही है।
GPM RAILWAY LAPARWAHI कुछ गाड़ियों को छोड़कर इस रेलरुट पर कई गाड़ियां तो 80 से 100 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफतार से रेल्वे ट्रैक से गुजर रही है। यह केवल एक जगह की बात नहीं है इस रेल्वेट्रेक पर हमने पाया कि रेलवेट्रेक पर जिसके उपर से धड़धड़ाती हुयी रेलगाड़ियां गुजर रही हैं। बताया जाता है कि यदि किसी जगह पर तीन चार से अधिक लॉक यदि लगातार निकले हों तो ये ज्यादा खतरनाक हो जाता है।
रेलचालक को चलाते समय ये लॉक न तो दिखाई देता है न ही आभाष हो पाता है, लिहाजा ये रेल पटरियों के रखरखाव को देखने वालों की जिम्मेदारी है। बहरहाल यदि आप भी बिलासपुर कटनी रेलवे रूट पर यात्रा करने जा रहे हैं तो कम से कम भगवान पर भरोसा तो जरूर रखिये, क्योंकि जिस रेलवे पर आप भरोसा करके यात्रा करते हैं उसके अधिकारी तो मानों हादसों का इंतजार किये बैठे हैं।
जिन यात्रियों से रेलवे रोजाना करोड़ों रूपये कमाती है उसी रेलवे के द्वारा जान जोखिम में डालना कितना उचित है और आखिर रेलवे को होश कब आता है ये देखने वाली बात होगी….