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Gustakhi Maaf: अब रेलवे स्टेशन भी बन गया एयरपोर्ट


-दीपक रंजन दास
रायपुर रेलवे स्टेशन पर भी अब एयरपोर्ट जैसी व्यवस्था होगी. यह व्यवस्था पार्किंग को लेकर की गई है. यात्रियों को लेने या छोड़ने के लिए आने वाले लोगों के लिए पार्किंग अब निःशुल्क होगी. पर इसके लिए समय सीमा का ध्यान रखना होगा. निःशुल्क पार्किंग कार के लिए केवल सात मिनट और दुपहिया वाहनों के लिए पांच मिनट का होगा. इससे ज्यादा समय लगाया तो क्रमशः 20 रुपए और 10 रुपए देने होंगे. नो पार्किंग एरिया में गाड़ी खड़ी करने पर चार पहिया वाहनों से 100 रुपए और दो पहिया वाहनों से 50 रुपए वसूल किये जाएंगे. नई व्यवस्था से स्टेशनों पर बेतरतीब पार्किंग और स्थानाभाव की समस्या से निजात मिलने की संभावना व्यक्त की गई है. वैसे रेलवे इस व्यवस्था से भी अच्छी खासी कमाई करने जा रहा है. रेलवे ने स्टेशन पर पार्किंग का छह करोड़ का ठेका जारी किया है. मजे की बात यह है कि रेलवे स्टेशन पर पिक एंड ड्राप की सुविधा को सुचारू बनाने के लिए उसी एयरपोर्ट सिस्टम को लागू करने की कोशिश की जा रही है जो स्वयं विवादों में घिरी हुई है. रायपुर एयरपोर्ट की ही बात करें तो यहां अपने बच्चों को रिसीव करने के लिए आने वाले लोग भारी भरकम शुल्क से बचने के लिए एयरपोर्ट के आसपास मंडराते रहते हैं. मुख्य मार्ग के पास बनी चाय-नाश्ते की गुमटियों के पास वाहन पार्क कर यात्री के फोन का इंतजार करते रहते हैं. उड़ानों और हवाई यात्रियों की सीमित संख्या के बावजूद यहां हमेशा अफरातफरी मची रहती है. एयरपोर्ट के मुकाबले रेलवे स्टेशन पर न केवल गाड़ियों बल्कि यात्रियों की संख्या भी कई गुना अधिक है. यात्री को ड्राप करने वाले तो पहले भी सवारी उतारने के बाद चले जाते थे पर रिसीव करने वाले क्या करें? उनकी समस्या का समाधान कैसे होगा? फोन पर पूरी स्थिति पता करके आने के बाद भी यात्रियों को रिसीव करने के लिए अकसर घंटों इंतजार करना पड़ता है. कभी ट्रेन आउटर पर खड़ी हो जाती है तो कभी स्टेशन के पास आकर रेंगने लगती है. कभी ट्रेन लगातार लेट होती चली जाती है और लोग झल्ला जाते हैं. उनकी मुसीबत कम नहीं होगी. स्टेशन को साफ-सुथरा और व्यवस्थित बनाए रखने के लिए उन्हें या तो आसपास की सड़कों पर मंडराना होगा या फिर स्टेशन पर गाड़ी खड़ी करके भारी-भरकम पार्किंग शुल्क देना होगा. एयरपोर्ट के आसपास मीलों तक सुनसान सड़कें हैं जबकि स्टेशन के आसपास सघन बसाहट और मार्केट एरिया है. वन-वे ट्रैफिक के कारण यहां स्टेशन के आसपास मंडराना भी संभव नहीं है. दूसरा तरीका यही है कि लोग भाड़े के वाहनों से ही स्टेशन जाएं और भाड़े के वाहनों से ही स्टेशन से घर आएं. एयरपोर्ट पर भी ऐसी ही सुविधा है. हालांकि, वहां ट्रैवल्स कंपनियों के बीच आए दिन हाथा-पाई होती रहती है. दरअसल, निःशुल्क पार्किंग की यह व्यवस्था एक फरेब है. इसका कोई लाभ नहीं मिलने वाला.