हमारे बारे में
छत्तीसगढ़ प्रदेश का एक विश्वसनीय न्यूज पोर्टल है, जिसकी स्थापना देश एवं प्रदेश के प्रमुख विषयों और खबरों को सही तथ्यों के साथ आमजनों तक पहुंचाने के उद्देश्य से की गई है।
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हेल्थ डेस्क। आम भारत की पहचान और संस्कृति का हिस्सा हैं. शायद ही कोई भारतीय होगा जिसे गर्मियों के इस मीठे, रसीले फल का शौक न हो. भारत 1,500 किस्मों का उत्पादन करता है, जो दुनिया के आमों का लगभग 50 प्रतिशत है. ये भारत में कम से कम 6,000 वर्षों से खाए जा रहे हैं. हालांकि इन दिनों शुगर के पेशेंट का एक ही सवाल रहता है कि क्या शुगर में आम खाना सुरक्षित है? क्या आम खाने से शुगर लेवल प्रभावित होगा ? मैक्स हेल्थकेयर में एंडोक्राइनोलॉजी एंड डायबिटीज के चेयरमैन डॉ. अंबरीश मिथल ने इसका जवाब बड़े ही विस्तार से दिया है आइए जानते हैं
डॉक्टर कहते हैं यदि आप इसके बारे में इंटरनेट पर खोज करते हैं, तो आपको एक से बढ़कर एक विरोधी जानकारी मिलेगी. एक ओर, कुछ वीडियो आपको बताएंगे कि आम में प्राकृतिक चीनी होती है, कुछ तो यहां तक कह देते हैं कि आम ब्लड शुगर बिल्कुल नहीं बढ़ाते! दूसरी ओर, कुछ लोग आपको बता सकते हैं कि मधुमेह वाले लोगों के लिए आम वर्जित है.लेकिन सच्चाई, हमेशा की तरह कहीं बीच में हैं. नियंत्रित मधुमेह वाले लोगों के लिए आम सहित अन्य फल प्रतिबंधित नहीं हैं, भले ही वे स्वाभाविक रूप से मीठे होते हैं, फलों में फाइबर भी होता है, जो चीनी के अवशोषण को धीमा कर देता है. हालांकि, अगर रक्त शर्करा की रीडिंग अनियमित है और hba1c बढ़ा है, तो कार्बोहाइड्रेट युक्त खाद्य पदार्थ जैसे फलों से बचना सबसे अच्छा है.
ताजे फल खाना हमेशा बेहतर होता है, क्योंकि डिब्बाबंद फलों में आमतौर पर चीनी मिलाई जाती है और कुछ खनिजों और पोषक तत्वों की कमी हो सकती है जो ताजे फल प्रदान करते हैं. डिब्बाबंद फलों के रस सख्त वर्जित हैं. क्यों कि रस निकालने से फाइबर और कुछ खनिज निकल जाते हैं, और आपके पास केवल सादा फल चीनी रह जाती है.