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Agriculture service centers : बगैर पी सी के कृषि आदान सामग्री बेचने पर दो टूक चेतावनी


Agriculture service centers : भाटापारा- उर्वरक के साथ लादन अनिवार्य नहीं है। अगर दिया जा रहा है, तो उसका उल्लेख बिल में किया जाना जरूरी होगा। प्रिंसिपल सर्टिफिकेट के बगैर कृषि आदान सामग्री बेची तो खैर नहीं। दो टूक शब्दों में यह चेतावनी, उप संचालक कृषि ने कृषि सेवा केंद्रों को दे दी है।

जिला गठन के बाद शायद पहला मौका था, कृषि आदान विक्रेताओं और विभाग के अधिकारियों के बीच रूबरू होने का। जिले में बीते एक सप्ताह से चल रही सघन जांच के बीच कृषि उपसंचालक दीपक नायक ने अपनी टीम के साथ शहर के बीज, उर्वरक और कीटनाशक विक्रेताओं की बैठक में जरूरी और अहम जानकारियां दीं। यह भी बताया कि नियमों का पालन क्यों जरूरी है।


Agriculture service centers : उर्वरक छिड़काव के दिन करीब हैं। सचेत विभाग ने स्पष्ट कर दिया है कि उर्वरक के साथ लादन अनिवार्य नहीं है। इसके बाद भी किसानों को दिया जा रहा है, तो उसका उल्लेख बिल में अलग से करना होगा। मालूम हो कि उर्वरक दुकानें हमेशा से किसानों को लादन थामती रहीं हैं। जिसका उल्लेख बिल में नहीं होता जबकि कीमत पूरी ली जाती है।

उप संचालक दीपक नायक ने बगैर प्रिंसिपल सर्टिफिकेट के बेची जा रही कृषि आदान सामग्री को, नियम विरुद्ध बताते हुए कहा कि स्रोत प्रमाण पत्र उपलब्ध करवाने वाली कंपनी की ही सामग्री का विक्रय करें। ऐसी सामग्री के विक्रय के पहले बिल बुक में खरीददार किसान का नाम, मोबाइल नंबर लिखें और उसके हस्ताक्षर भी करवाएं। एहतियातन यह जरूरी है।


Agriculture service centers : बीज विक्रेताओं को बताया गया कि कारोबारी सप्ताह के अंतिम दिन, सप्ताह भर की बिक्री और स्टॉक की जानकारी मुख्यालय तक पहुंचाया जाना सुनिश्चित करें। उर्वरक विक्रेताओं को पीओएस मशीन से उर्वरक की आवक-जावक की रिपोर्ट लेकर स्टॉक रजिस्टर में उल्लेख करना होगा। मांगे जाने पर यह जानकारी विभाग को देनी होगी।


विभाग, गांव-गांव जाकर कीटनाशक बेचने वाली कंपनियों पर भी नजर रखे हुए हैं। स्पष्ट किया है कि ऐसी गतिविधियों की सूचना फौरन जिला मुख्यालय में दें। इसी तरह ऑनलाइन कीटनाशक विक्रेताओं से सावधान रहने की अपील करते हुए कहा गया है कि विभाग द्वारा इस तरह की व्यापारिक गतिविधियों के लिए मंजूरी नहीं दी गई है।


स्कंध पंजी का संधारण, मूल्य सूची पर नई कीमत का उल्लेख करना होगा ताकि किसानों को सही कीमत की जानकारी मिल सके। संस्थान में फर्स्ट एड बॉक्स, एग्जॉस्ट और हाथ-पैर धोने के लिए पानी की उपलब्धता तय करनी होगी। साथ ही सभी जरूरी प्रमाण पत्र का विधिवत प्रदर्शन अनिवार्य रूप से करना होगा।