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छत्तीसगढ़ प्रदेश का एक विश्वसनीय न्यूज पोर्टल है, जिसकी स्थापना देश एवं प्रदेश के प्रमुख विषयों और खबरों को सही तथ्यों के साथ आमजनों तक पहुंचाने के उद्देश्य से की गई है।
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Black guava cultivation भाटापारा-अमरूद की खेती करने वाले किसानों के लिए अच्छी खबर। अब काले अमरूद की भी खेती की जा सकेगी। इस प्रजाति के अमरुद में भरपूर मेडिशनल प्रॉपर्टीज की मौजूदगी की प्रमाणित हुई है।
नाम है श्यामला। काम है पेट से संबंधित व्याधियां दूर करना। जी हां, अमरूद की यह नई प्रजाति, ऐसी कई विशेषताओं से भरपूर है, जिनकी मदद से आम हो चली कई व्याधियां दूर की जा सकेंगी। इस प्रजाति के अमरूद के बीज तो कुछ ज्यादा ही औषधिय गुणों से भरपूर है।
अमरूद की इस नई प्रजाति के फल का आवरण काला और भीतरी हिस्सा, लाल होता है। फूल और पत्तियां ही नहीं, तना भी श्याम वर्ण का होता है। इसी वजह से इसे श्यामला नाम से पहचाना जाता है। अन्य प्रजातियों की तुलना में श्यामला अमरूद में कहीं ज्यादा औषधिय गुणों का होना पाया गया है।
अनुसंधान में श्यामला में आयरन, कैल्शियम, विटामिन ए, बी और सी की मात्रा भरपूर मिली है। इसके अलावा पोटेशियम का भी होना प्रमाणित हुआ है। यह सभी औषधिय गुण रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में सहायक माने जाते हैं।
कब्ज और बवासीर आम रोग है। इसे समूल नष्ट करती है श्यामला। अनुसंधान में इसके बीज में वजन कम करने, ब्लड प्रेशर को काबू में रखने के गुणों का होना प्रमाणित हुआ है। बीज में पोटेशियम और फाइबर की मात्रा होने से पेट की कई अन्य व्याधियां दूर की जा सकती हैं।
काले अमरूद का सेवन जहां पौष्टिक तत्वों की कमी दूर करने में कारगर है, वहीं इसमें एंटीऑक्सीडेंट की मात्रा बहुत अधिक होती है जो बुढ़ापा आने से रोकती है। काले अमरूद को खाने से लोगों में रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है।
अजीत विलियम्स, साइंटिस्ट (फॉरेस्ट्री), बीटीसी कॉलेज ऑफ़ एग्रीकल्चर एंड रिसर्च स्टेशन बिलासपुर