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छत्तीसगढ़ प्रदेश का एक विश्वसनीय न्यूज पोर्टल है, जिसकी स्थापना देश एवं प्रदेश के प्रमुख विषयों और खबरों को सही तथ्यों के साथ आमजनों तक पहुंचाने के उद्देश्य से की गई है।
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रायपुर ( न्यूज़)। पिछले लोकसभा चुनाव में जिन सीटों पर कांग्रेस विजयी रही थी, उन दोनों सीटों पर भाजपा ने बड़ा दाँव चला है। खासतौर पर कोरबा में भाजपा के चक्रव्यूह में कांग्रेस फँसती दिख रही है। यहां से कांग्रेस की ज्योत्सना चरणदास महंत सांसद हैं। भाजपा ने इस सीट से पार्टी का बड़ा चेहरा मानी जाने वाली सरोज पाण्डेय को टिकट दिया है। भाजपा के दांव से कांग्रेस के माथे पर बल पडऩे लगे हैं। कोरबा क्षेत्र में कांग्रेस के सीनियर नेता चरणदास महंत का खासा जनाधार है। शायद इसीलिए बेहतर और क्षेत्र के लिए नए चेहरे के रूप में सरोज पाण्डेय को मैदान में उतारा गया है। सरोज पाण्डेय एक ही समय में महापौर, विधायक और सांसद रहने का रिकार्ड बना चुकीं हैं। वे लोकसभा की सांसद रहने के अलावा राज्यसभा की भी सांसद रहीं हैं। इधर, सरोज पाण्डेय के चुनाव मैदान में उतरने से जिले के भाजपाइयों में उत्साह है। उनका साफ कहना है कि महंत का किला ध्वस्त करने के लिए सरोज पाण्डेय जैसी धाकड़ नेत्री की ही जरूरत थी।
कोरबा लोकसभा सीट के लिए सरोज पाण्डेय के नाम के कयास काफी पहले से ही लगाए जा रहे थे। उनके यहां से चुनाव मैदान में उतरने से मुकाबला काफी रोचक हो गया है। दरअसल, भाजपा ने एक रणनीति के तहत सरोज पाण्डेय को कोरबा से चुनाव लड़ाने का फैसला किया है। उद्देश्य बिलकुल साफ है- कांग्रेस के इस किले को ध्वस्त करना। यह लगभग तय है कि कांग्रेस अपनी वर्तमान सांसद ज्योत्सना महंत को रिपीट करे। ऐसे में महिला के खिलाफ महिला की मौजूदगी का फायदा भाजपा को इसलिए भी मिल सकती है, क्योंकि सरोज पाण्डेय की राजनीति करने की स्टाइल जुदा है। उनकी पहचान तेज तर्रार नेत्री की है। हालांकि यह भी हकीकत है कि उनका सियासी सफर काफी संघर्षपूर्ण रहा है। सन् 2000 में उन्हें दुर्ग महापौर का टिकट बेहद संघर्ष के बाद मिला था। जब उन्हें टिकट दिया गया तो पार्टी के भीतर काफी विरोध हुआ, लेकिन लखीराम अग्रवाल की पहल पर उन्हें टिकट दिया गया। 2018 में भी जब उन्होंने राज्यसभा का चुनाव लड़ा तो कांग्रेस ने उनके खिलाफ प्रत्याशी खड़ा कर दिया था।
लौटने के लिए कोरबा नहीं आई- सरोज
प्रत्याशी घोषित होने के बाद कोरबा पहुंची सुश्री पाण्डेय ने कहा कि वे वापस लौटने के लिए कोरबा नहीं आई हैं। अब वे यहीं रहकर काम करेंगी। उन्होंने कहा कि सबका साथ और सबका विश्वास के नारे के साथ हम इस चुनाव लड़ेंगे और जीत हासिल करेंगे। सुतर्रा में भाजपा कार्यकर्ताओं के स्वागत के बाद उन्होंने अपनी बात रखी। इससे पहले टिकट की घोषणा होने पर दीपिका कोयलांचल में कार्यकर्ताओं ने उत्साह दिखाया और मिठाई बांटी। प्रत्याशी चयन के एक दिन बाद सरोज पांडेय की उपस्थिति कोरबा जिले में हुई। सुतर्रा में उनके आगमन पर भाजपा कार्यकर्ताओं ने उत्साह दिखाया और उनका स्वागत किया। लोकसभा प्रत्याशी सरोज पांडे ने कहा कि प्रधानमंत्री के आह्वान पर छत्तीसगढ़ में चुनाव लड़ रहे हैं उन्हें कोरबा लोकसभा से चुना गया है। सबका साथ और विकास पर लड़ेंगे चुनाव और जीत दर्ज करेंगे। कोरबा शहर पहुंचने पर स्थानीय पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं ने आतिशबाजी कर सरोज पांडेय का स्वागत किया। इससे पहले सरोज पांडेय को प्रत्याशी बनाने की घोषणा होने पर कोयलांचल दीपिका में भाजपा कार्यकर्ताओं में काफी उत्साह दिखा।
ऐसा है सरोज का राजनीतिक सफरनामा
भाजपा नेत्री सरोज पांडेय ने अपने राजनीतिक कैरियर की शुरुआत भारतीय जनता पार्टी के सदस्य के रूप में की थी। सरोज पांडेय पहली बार साल 2000 दुर्ग नगर निगम से महापौर चुनीं गई। उसके बाद वह दूसरी बार साल 2005 में फिर महापौर निर्वाचित हुईं। साल 2008 में भाजपा ने उन्हें वैशाली नगर से टिकट दिया, जिसमें जीत हासिल कर वे पहली बार विधानसभा पहुंचीं। लेकिन कुछ महीनों बाद ही भाजपा ने उन्हें दुर्ग लोकसभा क्षेत्र से प्रत्याशी घोषित कर दिया। उन्होंने इस जीत को भी आसानी से जीता। साल 2013 में सरोज पांडेय को भारतीय जनता पार्टी ने महिला मोर्चा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया। इसके बाद साल 2014 में भाजपा ने दुर्ग लोकसभा सीट से सरोज पांडेय को दोबारा प्रत्याशी बनाया लेकिन वे कांग्रेस के ताम्रध्वज साहू से चुनाव हार गई। इसके बाद सरोज पांडेय को साल 2018 में छत्तीसगढ़ से राज्यसभा सांसद बनाया गया। अब राज्यसभा सांसद का कार्यकाल समाप्त होने के बाद भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें कोरबा लोकसभा सीट से प्रत्याशी घोषित किया है।
पार्टी ने पहले ही कर दिया था इशारा
राज्यसभा से सरोज पांडेय का कार्यकाल 2 अप्रैल को समाप्त होने जा रहा है। इससे पहले बीते दिनों राज्यसभा सांसद रहते हुए सरोज पांडेय ने कोरबा लोकसभा क्षेत्र में विकास कार्यों के लिए 12 करोड रुपए की सौगात दी थी। सांसद निधि से कोरबा लोकसभा क्षेत्र के विकास के लिए सरोज पांडेय ने यह पैसे दिए थे। माना जाता है कि सरोज पाण्डेय को हाईकमान ने पहले ही कोरबा क्षेत्र से चुनाव लडऩे के संकेत दे दिए थे। इसी वजह से उन्होंने कोरबा क्षेत्र में विकास कार्यों के लिए 12 करोड़ रूपयों की सौगात दी। हालांकि ऐसा भी कहा जा रहा है कि पार्टी ने जब सरोज को लोकसभा चुनाव लडऩे का संकेत दिया था, तब उनसे पूछा गया था कि वे किस क्षेत्र से चुनाव लडऩे की इच्छुक है। बताते हैं कि सरोज ने इस पर रायपुर और कोरबा लोकसभा क्षेत्रों का नाम लिया था। भाजपा ने रायपुर से भी सामान्य वर्ग से ही बृजमोहन अग्रवाल को प्रत्याशी बनाया है। बृजमोहन रायपुर से अजेय रहे हैं। उन्होंने लगातार 8 विधानसभा के चुनाव जीतकर रिकार्ड बनाया है। शायद यही वजह है कि भाजपा ने तमाम दावेदारों के बीच उन्हें तवज्जो दी।
…जब राज्यसभा के लिए पहली बार हुआ मतदान
छत्तीसगढ़ के इतिहास में राज्यसभा चुनाव के लिए केवल एक बार मतदान हुआ है। उस चुनाव में सरोज पांडेय शामिल थीं। बात 2018 के राज्यसभा चुनाव की है। तब भाजपा सत्ता में थी। पार्टी के कुल 49 विधायक थे। कांग्रेस के 39, बसपा का एक और एक निर्दलीय विधायक थे। विधायकों की संख्या के लिहाज से यह सीट भाजपा के खाते में जानी थी, लेकिन एन वक्त पर कांग्रेस ने प्रत्याशी खड़ा करने की घोषणा कर दी। साथ ही कांग्रेस ने संसदीय सचिवों को अयोग्य घोषित कराने की भी मुहिम चला दी। भाजपा की तरफ से सरोज पांडेय ने नामांकन दाखिल किया। वहीं, कांग्रेस ने लेखराम साहू को उनके सामने लाकर खड़ा कर दिया। साहू ने भी नामांकन दाखिल किया। संख्या बल भाजपा के पक्ष में था, बावजूद इसके पार्टी के नेताओं की धड़कने तेज थीं। क्रास वोटिंग के खतरे को देखते हुए मतदान के लिए सभी भाजपा विधायकों को सुबह सीएम हाउस बुलाया गया और वहां से सभी एक साथ मतदान करने विधानसभा भवन पहुंचें। निर्धारित तिथि पर मतदान हुआ। राज्य के 90 में से 87 विधायक मतदान में शामिल हुए। इसमें सरोज पांडेय के पक्ष में 51 वोट और कांग्रेस प्रत्याशी साहू के पक्ष में 36 मत पड़े। बसपा के केशव चंद्रा और निर्दलीय डॉ. विमल चोपड़ा ने भाजपा के पक्ष में मतदान किया। वहीं, कांग्रेस के तीन विधायक अमित जोगी, सियाराम कौशिक और आरके राय मतदान में शामिल नहीं हुए।
अब भी कायम है रिकार्ड
सन् 2005 में सरोज पाण्डेय दुर्ग नगर निगम की दूसरी बार महापौर निर्वाचित हुईं। इसी दौरान 2008 में पार्टी ने उन्हें नवोदित वैशाली नगर विधानसभा सीट से प्रत्याशी घोषित कर दिया। महापौर रहते हुए सरोज ने विधायक का चुनाव जीत लिया। इसके अगले ही साल 2009 में भाजपा ने एक बार फिर सरोज पाण्डेय पर दाँव लगाया। इस बार उन्हें दुर्ग लोकसभा से प्रत्याशी बनाया गया। संसदीय चुनाव में भी सरोज ने जीत हासिल कर इतिहास रच दिया। वे एक ही समय में महापौर, विधायक और सांसद रहने वाली पहली जनप्रतिनिधि बनीं। यह रिकार्ड आज भी कायम है। सांसद बनने के बाद हालांकि सुश्री पाण्डेय ने वैशाली नगर सीट को छोड़ दिया था, लेकिन तब तक उनके नाम पर रिकार्ड कायम हो चुका था। सरोज पाण्डेय दो बार महापौर, एक बार विधायक, एक बार लोकसभा और राज्यसभा के लिए निर्वाचित हो चुकीं हैं। उनके इसी रिकार्ड को देखते हुए पार्टी ने उन्हें कोरबा जैसे चुनौतीपूर्ण क्षेत्र के लिए चुना। पार्टी नेताओं का मानना है कि इस बार भी सरोज पाण्डेय शीर्ष नेतृत्व को निराश नहीं करेंगी।