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Ganesh Chaturthi : आइये जानते है हम गणेश उत्सव क्यों मनाते है ?


Ganesh Chaturthi आज गणेश चतुर्थी की स्थापना का उत्सव मनाया जा रहा है। इनकी स्थापना के बाद विसर्जन का कार्यक्रम भी होगा । हम यह उत्सव क्यों मनाते हैं इसका कारण, इसका ज्ञान लेना भी बहुत आवश्यक है।

Ganesh Chaturthi गणेश स्थापना और विसर्जन के पीछे छुपे संदेश –

  1. दूसरों का सम्मान करना सिखाता है हालांकि प्रतिमा को केवल एक व्यक्ति बनाता है लेकिन इसके पीछे कई लोगों की मेहनत लगी होती है। प्रतिमा को बनाने में इस्तेमाल होने वाली मिट्टी की खुदाई मछुआरा करता है तथा कुम्हार इस मूर्ति को आकार देता है व पुजारी इसे गणेश के रूप में पूजता है। इस तरह हम टीमवर्क व परस्पर आदर सिखाते हैं।
  2. हमें याद दिलाता है कि जीवन अस्थायी है गणेश की प्रतिमा को बडे प्यार से बनाया जाता है। यही प्यार व भक्ति इस मिट्टी की प्रतिमा को एक आध्यात्मिक शक्ति का आकार देते हैं। समय आने पर, इसे फिर प्रकृति को लौटा दिया जाता है। इसी तरह, हम भी मिट्टी के बने हैं और इस मिट्टी के शरीर में आत्मा वास करती है। और एक दिन, यह शरीर मिट्टी में विलीन हो जाता है।

3 .हमें बताता है कि भगवान निराकार है गणेश चतुर्थी के दौरान, हम मूर्ति में भगवान गणेश के आध्यात्मिक रूप को आमंत्रित करते हैं तथा अवधि समाप्त होने पर हम आदर से प्रभू से मूर्ति को छो़ड़ने की विनती करते हैं ताकि हम मूर्ति को पानी में विसर्जित कर सकें। इससे हमें पता चलता है कि भगवान निराकार है। अतः हम उनके दर्शन पाने, भजन सुनने व स्पर्श पाने के लिए एवं पूजा में चढाए जाने वाले फूलों की मेहक व प्रसाद पाने के लिए उन्हें एक आकार देते हैं।

4 . जीवन का चक्र विसर्जन की रीत, हमारे जीवन व मृत्यु के चक्र की प्रतीक है। गणेश की मूर्ति बनाई जाती है, उसकी पूजा की जाती है एवं फिर उसे अगले साल वापस पाने के लिए प्रकृति को सौंप दिया जाता है। इसी तरह, हम भी इस संसार में आते हैं अपने जीवन की जिम्मेदारियों को पूरा करते हैं एवं समय समाप्त होने पर अगले जन्म में एक नए रूप के साथ जीते हैं।

  1. हमें तटस्थता सिखाता है विसर्जन हमें तटस्थता के पाठ को सिखाता है। इस जीवन में मनुष्य को कई चीज़ों से लगाव हो जाता है और वो माया के जाल में फंस जाता है। लेकिन जब मृत्यु आती है तब हमें इन सारे बंधनों को तोड़ कर जाना पड़ता है। गणपति बप्पा भी हमारे घर में स्थान ग्रहण करते हैं और हमें उनसे लगाव हो जाता है। परंतु समय पूरा होते ही हमें उन्हें विसर्जित करना पडता है। इस तरह हमें इस बात को समझना होगा कि हम जिन्हें जिंदगी भर अपना समझते हैं असल में वो हमारी होती ही नहीं हैं।
  2. सांसारिक वस्तुओं से जुडे मोह को तोडते हैं विसर्जन हमें यह सिखाता है कि सांसारिक वस्तुएं व लौकिक सुख केवल शरीर को तृप्त करते हैं ना कि आत्मा को।