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Gustakhi Maaf: कभी भस्म नहीं होता भस्मासुर


-दीपक रंजन दास
धरती पर सबसे ज्यादा ताकतवर बनने की इच्छा ही वह आसुरी प्रवृत्ति है जिसका भारतीय शास्त्रों में बार-बार अंत होता दिखाया गया है. रावण से लेकर भस्मासुर तक सभी शिवजी की आराधना करते थे. उनकी तपस्या के आगे शिवजी को बार-बार नतमस्तक होना पड़ा और उन्हें उनके द्वारा मांगा गया वरदान भी देना पड़ा. रावण ने तीनों लोकों पर विजय प्राप्त कर ली. शिवजी को संतुष्ट करने के लिए रावण ने अपनी नसों से रुद्रवीणा का निर्माण किया था. इसी रावण ने अपनी तपस्या के बल पर शिवजी को कैलाश से लंका ले जाने की भी चेष्टा की. पर भस्मासुर इससे अलग था. उसने अपनी तपस्या से शिवजी को प्रसन्न कर लिया. उसने शिवजी से यह वरदान प्राप्त कर लिया कि वह जिसके भी सिर पर हाथ रखे वह भस्म हो जाए. शिवजी ने तथास्तु कह दिया. इसके बाद भस्मासुर ने सभी को भस्म करने का महाताण्डव प्रारंभ कर दिया. फिर एक दिन ऐसा आया जब उसने शिवजी को ही भस्म कर देने की ठान ली. शायद उसे लगा होगा कि शिवजी तो शिवजी हैं, अपने भोलेपन में वह कहीं इससे भी ज्यादा शक्तिशाली वरदान किसी और असुर को न दे दें. तब शिवजी की रक्षा करने के लिए एक बार फिर भगवान विष्णु को आना पड़ा. उन्होंने मोहिनी रूप धारण किया और लगे भस्मासुर को रिझाने. भस्मासुर उनके रूप जाल में ऐसा फंसा कि नृत्य में उनका अनुकरण करने लगा. नाचते-नाचते मोहिनी ने अपने सिर पर हाथ रख लिया. भस्मासुर ने ऐसा किया तो स्वयं भस्म हो गया. सोशल मीडिया भी आज ऐसे ही दौर से गुजर रही है. इसपर कुछ ऐसे शातिर दिमागों ने कब्जा कर लिया है जिनका मस्तिष्क आने वाले समय में म्यूजियम में रखा जा सकेगा. मीडिया जगत इन्हें ट्रोल सेना कहती है. ट्रोल सेना जब किसी भी व्यक्ति को घेरती है तो उसकी तिक्का-बोटी कर देती है. इन्हें न तो किसी के व्यक्तिगत अधिकारों की परवाह होती है, न किसी की निजता से इनका कोई वास्ता होता है. मानहानि जैसे कानूनों की तो वो कतई परवाह नहीं करती. जीवित-मृतक सभी लोग इनके निशाने पर होते हैं. आईटी टूल्स पर इनका दखल इतना दबरदस्त है कि ये जब चाहें, देश के प्रधान न्यायाधीश तक के कूटरचित वीडियो बनाकर उसपर खेल जाते हैं. कोई इनका बाल भी बांका नहीं कर पाता. ये आते हैं, ट्रोल करते हैं और मामला उलटा पड़ जाए तो पोस्ट डिलीट कर गुमनामी के अंधेरे में खो जाते हैं. जिस तरह पुराणों में शिवजी को सर्वशक्तिमान माना गया है, उसी तरह लोकतंत्र में जनता को सर्वशक्तिमान समझा जाता है. दोनों ही शिव हैं और वरदान देने के लिए बाध्य हैं. दोनों ही अपने भोलेपन के लिए जाने जाते हैं. इनके भोलेपन का फायदा उठाकर आसुरी शक्तियां इनके साथ छल करती हैं. शिवजी को बचाने के लिए भगवान विष्णु बार-बार हस्तक्षेप करते हैं. क्या न्यायपालिका से भी ऐसी उम्मीद रखी जा सकती है?