हमारे बारे में
छत्तीसगढ़ प्रदेश का एक विश्वसनीय न्यूज पोर्टल है, जिसकी स्थापना देश एवं प्रदेश के प्रमुख विषयों और खबरों को सही तथ्यों के साथ आमजनों तक पहुंचाने के उद्देश्य से की गई है।
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-दीपक रंजन दास
लोकतंत्र के चार पाए बताए गए हैं-विधायिका, न्यायपालिका, कार्यपालिका और जनता की आवाज के तौर पर मीडिया। देखने में तो विधायिका अर्थात निर्वाचित जनप्रतिनिधियों से बनी सरकार ही सर्वशक्तिमान लगती है पर दरअसल, ऐसा है नहीं। घुमा फिराकर सारी शक्तियां कार्यपालिका में ही समा जाती हैं। अदालत हो, सरकार हो या जनता सब का पाला इसी अफसरशाही से पड़ता है। कार्यपालिका में देश की सर्वश्रेष्ठ बुद्धियां होती हैं। पहले से ही तेज तर्रार इन मस्तिष्कों को प्रशिक्षण देकर और खतरनाक बनाया जाता है। इसके बाद सोहबत इन्हें बना या बिगाड़ देती है। सरकार योजना बनाए, पैसे भी आवंटित करे पर कार्यपालिका काम ही न होने दे तो जूते सरकार को पड़ते हैं। इसी तरह अदालत आदेश पर आदेश देती रहे पर पुलिस-प्रशासन उसे किसी खातिर में न लाए तो कोई क्या ही कर लेगा। खबरों के मुताबिक छत्तीसगढ़ में अदालत की नाफरमानी के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। जनवरी 2017 में अदालत की अवमानना के 345 केस लंबित थे, जो जनवरी 2018 में 433 हो गए। जनवरी 2021 तक ये संख्या बढ़कर 1510 हो गई जबकि अगस्त 2022 तक ये आंकड़ा 2400 के पार चला गया। अर्थात अदालतें निर्देश देती रहीं और अफसरों ने उनपर प्रतिक्रिया देना तो दूर, शायद उन्हें खोलकर भी नहीं देखा। दरअसल, देश के चतुर अफसरों ने अपने लिए ऐसे नियम-कायदे बना रखे हैं कि वो जिसे चाहें भस्म कर दें। पुराणों में वर्णित वृकासुर ने तपस्या के द्वारा भगवान शिव को संतुष्ट किया था। शिवजी की कृपा से उसे यह वरदान मिल गया कि वह जिसके सिर पर हाथ रख दे वह भस्म हो जाए। इसके बाद उसका नाम भस्मासुर पड़ गया। कालांतर में भस्मासुर को लगा कि जिस तरह उसने शिवजी को प्रसन्न किया था, कोई और भी तो कर सकता है। इसलिए उसने शिवजी को ही भस्म करने की ठान ली। वह तमाम देवी देवताओं के पीछे पड़ गया। शिवजी और देवी देवता एक गुफा में जाकर छिप गए। तब भगवान विष्णु ने इस असुर से पीछा छुड़ाने की तरकीब निकाली। उन्होंने मोहिनी रूप धारण किया और भस्मासुर को रिझा लिया। पर एक शर्त रखी कि वे भस्मासुर को तभी प्राप्त होंगे जब वह उनके साथ नृत्य करे। नृत्य करते हुए श्री विष्णु ने अपने सिर पर हाथ रखा। मोहिनी माया के वशीभूत होकर भस्मासुर ने भी ऐसा ही किया। शिवजी का आशीर्वाद काम आ गया और भस्मासुर स्वयं भस्म हो जाएगा। पिछले कुछ वर्षों में कुछ सरकारी एजेंसियों ने अपनी असीमित शक्तियों का प्रदर्शन किया है। अकसर ऐसा लगा है कि उनपर किसी तरह की कोई जवाबदेही नहीं है। वो जिसे चाहें, उसे भस्म कर सकते हैं। कईयों को उन्हें भस्म कर भी दिया। अब उनके हौसले बुलंद हैं और वो पहले से बड़ा टारगेट ढूंढ रहे हैं। इससे पहले कि अफसरशाही वास्तव में भस्मासुर बन जाए उनपर नकेल कसना होगा। अफसरशाही किसी मोहिनी के झांसे में नहीं आने वाली।