हमारे बारे में
छत्तीसगढ़ प्रदेश का एक विश्वसनीय न्यूज पोर्टल है, जिसकी स्थापना देश एवं प्रदेश के प्रमुख विषयों और खबरों को सही तथ्यों के साथ आमजनों तक पहुंचाने के उद्देश्य से की गई है।
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-दीपक रंजन दास
देश का अन्नदाता किसान एक बार फिर योजनाओं के केन्द्र में है। छत्तीसगढ़ में संपन्न हुए विधानसभा चुनावों में देश ने देखा कि किस तरह अंतरिक्ष, रक्षा और हाईस्पीड ट्रैफिक को ही विकास मानने वालों ने अपनी नीतियों में बदलाव किया। 300 रुपए बोनस न देने के चलते गंवाई सत्ता को वापस पाने के लिए केन्द्र ने धान खरीदी की न केवल कीमत बढ़ाई बल्कि प्रति एकड़ खरीदी में उच्चतम सीमा तक पहुंच गए। दरअसल, भूखे पेट न तो भजन होता है और न ही विकास। आजादी के बाद देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने तीव्र औद्योगिकीकरण की आवश्यकता को महसूस किया। रूस और जर्मनी ने मदद की और देश में आधारभूत उद्योग लगे। हमारा भिलाई भी उसी दूरदृष्टि का परिणाम है। जिस सरदार सरोवर में आज पटेल की गगनचुंबी लौह प्रतिमा लगी है, उसकी नींव भी नेहरू ने ही रखी थी। लाल बहादुर शास्त्री देश के दूसरे प्रधानमंत्री बने। तब तक देश की आजादी को डेढ़ दशक बीत चुके थे। आधारभूत संरचनाओं पर काफी काम हो चुका था। 1962 के चीनी आक्रमण से देश को जबरदस्त आर्थिक चोट लगी थी। इससे अभी उबर नहीं पाए थे कि 1964-65 में अकाल पड़ गया। देश को अमेरिका की पीएल-480 स्कीम के तहत लाल गेहूं की आपूर्ति शुरू की गई। मौका देखकर 1965 में पाकिस्तान ने भारत पर आक्रमण कर दिया। अप्रैल से सितम्बर 1964 के बीच हुए इस युद्ध में भारतीय सेना ने जबरदस्त शौर्य का प्रदर्शन किया और लाहौर तक जा पहुंची। तब शास्त्रीजी ने नारा दिया – जय जवान, जय किसान। तभी से किसान सरकारों की प्राथमिकता सूची में बने रहे हैं। समय के साथ कृषि क्षेत्र का विस्तार हुए और इसमें उद्यानिकी, वानिकी, वनोपज संग्रह के साथ ही मत्स्य पालन और डेयरी व्यवसाय भी जुड़ गए। यह न केवल आजीविका बल्कि सुपोषित, समृद्ध और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के लिए जरूरी था। तमाम औद्योगिकीकरण और उपलब्धियों के बावजूद यह सत्य आज भी अटल है कि देश की सेहत किसानों की सेहत से जुड़ी है। आज भी सबसे बड़ी आबादी किसानों की ही है। छत्तीसगढ़ में भाजपा की पिछली सरकार ने किसानों को दो साल तक धान का बोनस नहीं दिया और हाशिए पर चली गई। उसे उसका सबक मिल गया। इस बार उसने कोई गलती नहीं की और किसानों की सबसे बड़ी हितैषी के रूप में सामने आई। न केवल उसने धान खरीदी मूल्य को बढ़ाने बल्कि प्रति एकड़ 21 क्विंटल धान खरीदने की भी घोषणा कर दी। नतीजा अपेक्षित रहा और भाजपा अब फिर सरकार बनाने जा रही है। दरअसल, जब आप किसानों की बात कर रहे होते हैं तो भारत की बात कर रहे होते हैं। वही भारत जिसे किसानों का देश कहा जाता है। किसान खुशहाल होंगे तो अर्थव्यवस्था कभी बदहाल नहीं होगी। किसानों के पास पैसा होगा तो उद्योग, व्यापार सबकुछ चुस्त-दुरुस्त रहेगा। पैसा अंतिम हाथों तक पहुंचेगा तो ऊपर भी आएगा।