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Gustakhi Maaf: एकाएक क्यों उभरी भुबनेश्वर-प्रीति


-दीपक रंजन दास
ओडीशा की राजधानी भुबनेश्वर के बीचों बीच लगभग पांच लाख वर्गफीट क्षेत्र में 18 मंजिला स्किल सेंटर है। इसमें युवाओं को फैशन डिजाइनिंग, ब्यूटी पार्लर, इलेिक्ट्रकल सेवाएं, मेकाट्रॉनिक्स, विद्युत प्रौद्योगिकी तथा स्पा सहित अन्य ट्रेड की ट्रेनिंग दी जाती है। भुबनेश्वर का वेंडिंग जोन भी देश में सबसे अच्छा है। वहां पर अलग-अलग क्षेत्रों में 10 वेंडिंग जोन बनाए गए हैं। यहां स्ट्रीट वेंडरों के लिए तमाम सुविधाओं के साथ दुकानें दी गई हैं। शेष शहर में अब स्ट्रीट वेंडरों के लिए कोई जगह नहीं है। दरअसल, यही सोच समस्याओं की जड़ है। एक समस्या यह है कि युवाओं के पास उनका पसंदीदा स्किल नहीं है। दूसरी समस्या यह है कि जो स्किल है, उसका काम नहीं मिलता। पहली समस्या का समाधान तो आसान है पर दूसरी समस्या का हल ढूंढने के लिए वक्त में कुछ पीछे लौटना होगा। नाई, बढ़ई, लुहार, सुतार, कुम्हार, मिस्त्री के खानदानी धंधे में जमा-जमाया बाजार होता था। बंधे-बंधाए ग्राहक होते थे। आज आप बाल काटने का कितना भी बढिय़ा स्किल क्यों न हासिल कर लो, ग्राहक पकडऩे के लिए आपको वापस अप्रेंटिसशिप में ही जाना पड़ेगा। आपका सर्टिफिकेट देखकर कोई आपके पास अपने बालों का सत्यानाश करवाने के लिए नहीं आएगा। कुछ साल पूर्व भिलाई में नापित समाज के मुखिया आए थे। उस दौरान जब उनसे चर्चा हुई तो यह बात खुलकर सामने आई कि नापितों ने अपने काम को छोटा समझा और धीरे-धीरे हाशिए पर चले गए। उनके बच्चों ने इस काम को छोड़ा तो तमाम कथित ऊंची जाति के लोगों ने इसे अपना लिया। सौन्दर्य का उद्योग आज एक बड़ा उद्योग है। लोग इनके सलून में बाल कटवाने के लिए सैकड़ों से लेकर हजारों रुपए तक खर्च करते हैं। मालिश का काम अब मसाज पार्लर का रूप ले चुका है जिसमें लाखों की कमाई है। दरअसल, स्किल सिखाने से भी ज्यादा जरूरी है, स्किल की मार्केटिंग सिखाना। अन्यथा लोग पीएचडी करने के बाद भी 20-25 हजार रुपए की नौकरियां ही कर रहे हैं। दरअसल, यह सर्टिफिकेशन का वह गोरखधंधा है जो शिक्षित बेरोजगारों की भीड़ बढ़ा रहा है। भुबनेश्वर के वेंडिंग जोन के विषय में सरकार का मानना है कि सड़क पर लगने वाले ठेले और दुकानों की वजह से ट्रैफिक का पूरा सिस्टम ध्वस्त हो जाता है। सही है पर यही वेंडर राजधानी में आने वाले गरीबों की सेवा भी करते हैं। वेंडिंग जोन कितना भी बड़ा क्यों न हो, पैदल-पैदल शहर घूम रहा आदमी छोटा पैकेट बिस्कुट और हाफ चाय पीने के लिए वहां तक नहीं जाएगा। भुबनेश्वर की तारीफ करना दरअसल, राजनीति का हिस्सा है। ओडीशा वह प्रांत है जहां बीजू जनता दल की सरकार है। पिछले कई सालों से लाख कोशिशों के बावजूद इस सरकार को हिलाया नहीं जा सका है। अब इसे एनडीए में शामिल करने की कोशिशें हो रही हैं। बीजद को शामिल करने के बाद ही एनडीए का 400 पार का सपना पूरा हो सकता है।