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Gustakhi Maaf: किसानों को मिलेगा 2016-17, 17-18 का पैसा


-दीपक रंजन दास
लेन-देन का यह फार्मूला शायद और किसी को समझ में नहीं आए पर छत्तीसगढ़ को खूब समझ में आता है। सरकार और जनता के बीच यहां लेनदार और देनदार का रिश्ता है। भाजपा की रमन सिंह सरकार ने किसानों को 300 रुपए प्रति क्विंटल बोनस देने का वायदा किया था। वह नहीं दे पाई और 2018 में उसकी सरकार चली गई। तब कांग्रेस ने 2500 रुपए प्रति क्विंटल की दर पर धान खरीदने और किसानों का कर्ज माफ करने की घोषणा की थी जिसे उसने निभाया भी। किसान ने भी मान लिया कि बोनस की घोषणा रमन सरकार ने की थी, इसलिए उसने भूपेश से कभी वह पैसा मांगा भी नहीं। किसान उस पैसे को लगभग भूल चुका था। हालांकि भाजपा खूब जानती थी कि छत्तीसगढ़ में आबादी का सबसे बड़ा हिस्सा किसानों का है। 2003 से लेकर 2013 तक उसने किसानों का ख्याल भी रखा और लगातार सत्ता में बनी रही। पर 2016-17 और 2017-18 में 300 रुपए प्रति क्विंटल बोनस की घोषणा करने के बावजूद वह इसे पूरा नहीं कर पाई और सत्ता से बाहर हो गई। अब जबकि जनता ने पुन: उसपर भरोसा किया है तब वह भी उदारता की मिसाल कायम करना चाहेगी। वह अपनी पुरानी चूक को सुधारने की कोशिश करेगी। 2013 में बनी भाजपा की सरकार ने 2016-17 में 58 लाख और 2017-18 में 62 लाख टन धान किसानों से खरीदा था। भाजपा की नई सरकार इसका भी बोनस किसानों को देगी। 31 सौ रुपए क्विंटल धान बेचने की खुशी में किसान को वैसे भी रात-रात भर नींद नहीं आ रही थी। अब बकाया बोनस की उम्मीद में उसकी झपकियां भी जाती रही हैं। प्लान बन रहे हैं कि इस रकम का कैसा उपयोग किया जाए। समय की मांग है कि वह इस रकम का निवेश करे पर बाजारवाद उसे शायद ही ऐसा करने दे। गृहिणियों में अलग जोश है कि जल्द ही उनके खाते में भी पैसे आएंगे। शहरी आबादी के लिए हालांकि यह कोई बहुत बड़ी रकम नहीं है फिर भी एक बात तो तय है कि यह सारा पैसा बाजार में आएगा और वह गुलजार हो जाएगा। इस पैसे पर ठगों की भी नजर होगी। तरह-तरह के स्कीम आ जाएंगे। जनता को इस ठगी से बचना और बचाना होगा।