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Gustakhi Maaf: डीजे की आवाज में गुम हो गई आवाज


-दीपक रंजन दास
गांव के ही छह युवकों ने मिलकर एक नाबालिग लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार किया। सभी आरोपी पकड़ लिये गये हैं। घटना जशपुर की है। आरोपी और पीडि़त, सभी डीजे की धुन पर डांस करने गए थे। जब लड़की पर आरोपियों ने हमला किया तो वह चीखी भी पर डीजे के तेज शोर शऱाबे में उसकी आवाज किसी को सुनाई नहीं दी। डीजे एक ऐसी ही मुसीबत है जिसके आसपास के 40-50 मीटर के दायरे में आपस में बातचीत करना तक संभव नहीं होता, फोन की घंटी सुनाई नहीं देती और सुनाई दे भी जाए तो उसपर बात नहीं की जा सकती। एक और मुसीबत है युवा जोड़ों का तफरीह के लिए सुनसान जगहों पर जाना। रईसजादे युवतियों को फंसाते हैं और फिर उन्हें गाड़ी में बैठाकर सुनसान जगहों पर ले जाते हैं। गाड़ी में ही नशाखोरी की जाती है। कुछ जोड़े गाड़ी में ही यौन संबंध बनाते हैं। फिल्म ‘पीकेÓ में ऐसी ही घटनाओं का जिक्र डांसिंग कार के रूप में किया गया था। कभी-कभी ऐसी तफरीह महंगी पड़ती है। एकांत में ऐसे जोड़ों को अपराधी प्रवृत्ति के लोग घेर लेते हैं और फिर लड़की के साथ बहुत बुरा बीतता है। कार में इस तरह संबंध बनाने वालों के सैकड़ों वीडियो पोर्न साइट्स पर मिल जाएंगे। ये वीडियो ब्लैकमेलिंग का भी जरिया बनते हैं। इसलिए पुलिस नहीं चाहती की युवा जोड़े सुनसान स्थानों पर जाएं और वहां बेजा हरकतें करें। कवर्धा पुलिस कप्तान ने हाल ही में शिकायतों पर कार्रवाई करते हुए लालपुर सरोदा रोड पर अनेक जोड़ों को पकड़ा। कार और बाइक पर ही युवा जोड़े आपत्तिजनक स्थिति में मिले। फिलहाल उनकी हरकतों की जानकारी उनके अभिभावकों को देने के साथ ही उन्हें चेतावनी देकर छोड़ दिया गया है। उन्हें चेतावनी दी गई है कि यदि आइंदा इन स्थानों पर ऐसी स्थिति में मिले तो सख्त कार्रवाई की जाएगी। हालांकि पुलिस कार्रवाई कर रही है पर बीजापुर की एक घटना के सामने आने के बाद ये प्रयास ऊंट के मुंह में जीरा प्रतीत होते हैं। बीजापुर के आवापल्ली थाना क्षेत्र में एक 20 वर्षीय युवक अपने परिचित की 9 साल की बेटी के साथ दो साल से यौन संबंध बना रहा था। 11 साल की उम्र में बालिका गर्भवती हुई तब जाकर घर वालों को इसका पता चला। शिकायत पर पुलिस ने युवक को गिरफ्तार कर लिया और फास्ट ट्रैक कोर्ट में पेश किया। युवक को बीस साल कैद की सजा सुनाई गई है। इस मामले में 11 गवाहों को पुलिस ने पेश किया था जिन्हें इस घटना की भनक थी। पर वो सबके सब दो साल तक चुप रहे। जब तक समाज इस तरह आंखें मूंदे रहेगा, पुलिस अपराधी को सजा तो दिला सकती है पर ऐसी घटनाओं को रोक नहीं सकती। लड़कियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी समाज को और स्वयं लड़कियों को लेनी होगी। साहसी होने का मतलब बेपरवाह होना नहीं है।