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Gustakhi Maaf: ये सेकुलर हैं या जलनकुकड़ों की फौज


-दीपक रंजन दास
देश के सेकुलरों और जलनकुकड़ों के बीच ज्यादा फर्क नहीं रह गया है. जब पूरा देश अयोध्या में लिखे जा रहे इतिहास पर आह्लादित हो रहा है, तब इन तथाकथित सेकुलरों के पेट में मरोड़ पड़ रही है. दरअसल, ये सेकुलर हैं ही नहीं. होते तो इन्हें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ना था कि मंदिर कैसे बन रहा है, कहां बन रहा है, वह पूर्ण है या अपूर्ण, वास्तुशास्त्र क्या कहता है, पंचांग क्या कहता है, आदि-आदि, इत्यादि. सेकुलरों की यह फौज उस पुलाव में नुक्स निकाल रही है जिसे लोग चाव से खा रहे हैं. सेकुलर कहलाने के भ्रम में यह वर्ग असंतोष के एक ऐसे दलदल में जा फंसा है जिससे बाहर निकलना नामुमकिन नहीं तो आसान भी नहीं है. सेकुलरिज्म या धर्मनिरपेक्षता का सिद्धांत है कि वह लोगों को उनके अपने तरीके से स्व-धर्म का पालन करने देगा. किसी के तौर तरीकों में मीनमेख नहीं निकालेगा और न ही किसी के धर्म पालन की राह में मुश्किलें खड़ी करेगा. अगर, वह तटस्थ रहता तो उसे इस बार पर गर्व होता कि अयोध्या में देश का सबसे बड़ा और विश्व का तीसरा सबसे बड़ा मंदिर बन रहा है. एक ऐसा मंदिर जो उत्तर प्रदेश सहित पूरे भारत वर्ष के पर्यटन उद्योग के लिए संजीवनी साबित हो सकता है. एक ऐसा मंदिर जिसे भव्य बनाने के लिए देशवासियों ने करोड़ों रुपए का अंशदान किया. एक प्राचीन शहर का कायाकल्प हो गया. अयोध्या न केवल चौड़ी चिकनी सड़कों से जुड़ गई बल्कि वहां नागरिक एवं पर्यटन सुविधाओं का भी ऐसा विकास हो गया, जिसकी कुछ साल पहले तक लोग कल्पना भी नहीं कर सकते थे. इस मंदिर के निर्माण में देश के पूर्व से लेकर पश्चिम तक और उत्तर से लेकर दक्षिण तक की संस्कृतियों और शैलियों का समावेश किया गया है. यह एक ऐसी संरचना है जहां भारतीय परम्पराओं और आस्था का दिल धड़कता है. जो इसे महसूस नहीं कर पा रहा है, वह या तो मृत है या फिर मरने का ढोंग कर रहा है. हकीकत तो यही है कि उसे खूब समझ में आ रहा है कि उससे एक बड़ी गलती हो गई है. पर समझ में यह नहीं आ रहा है कि इस गलती को सुधारा कैसे जाए. दिक्कत यह भी है इस भयानक रोग का इलाज कराने में भी उसे डर लग रहा है. किसी बड़े अस्पताल में जाने की बजाय वह उन झोला छाप डाक्टरों के पास जा रहा है जो प्रत्येक बीमारी का शर्तिया इलाज करने का दावा करते हैं. शिक्षित और अनुभवी समाज जानता है कि ऐसे दावे अकसर खोखले होते हैं. उन्हें खीझ है कि भाजपा राजनीति कर रही है. तो इसमें गलत क्या है? भाजपा एक राजनीतिक पार्टी है. वह राजनीति नहीं करेगी तो और क्या करेगी. अगर कांग्रेस का मंदबुद्धि नेतृत्व देश के मनोभावों को ताड़ नहीं पाता है तो यह उसकी अपनी समस्या है.