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Gustakhi Maaf: वैलेंटाइन के बहाने बसंत पंचमी पर हमला


-दीपक रंजन दास
एक अजीब सा फितूर लोगों के दिल-ओ-दिमाग पर छा गया है. पश्चिम का विरोध करना है भले ही इसकी चपेट में भारतीय संस्कृति और पर्व क्यों न आ जाएं। बसंत पंचमी के अवसर पर इसका एक नमूना देखने को मिला। मोटरसाइकिलों पर सवार हुड़दंगियों की फौज ने फूलों की दुकानों पर धावा बोल दिया। कुछ पुलिस वाले भी इनके साथ चल रहे थे। यह भीड़ लगभग 12 बजे सेक्टर-6 साईं मंदिर के पास पहुंची और वहां के दुकानदारों ने हड़बड़ाकर अपनी दुकानें बंद करनी शुरू कर दीं। तुरत-फुरत में सामान समेटने की कोशिश में उनका काफी नुकसान भी हो गया। एक बुजुर्गवार इस धक्का-मुक्की की चपेट में आ गए। लोहे के स्टैण्ड से उलझकर उनका संतुलन बिगड़ा और दौड़ते-भागते लोगों की चपेट में आकर वो गिर गए। हल्की-फुल्की चोटें भी आईं। वे बसंत पंचमी के लिए फूल और माला खरीदने आए थे। 5-7 मिनट के हंगामे के बाद यह फौज आगे निकल गई और बेचारे पुलिस वाले उनके साथ-साथ आगे बढ़ गए। बाइक सवारों की यह टोली वैलेन्टाइन डे का विरोध करने निकली थी। बेचारों को तो पता भी नहीं था कि वेलेंटाइन डे नहीं पूरा वीक होता है। रोज़ डे इसका पहला दिन होता है जो इस बार 7 फरवरी को था। इसके बाद क्रमश: प्रोपोज-डे, चॉकलेट-डे, टेडी-डे, प्रॉमिस-डे, किस-डे और हग-डे मनाया जाता है। अंतिम दिन वैलेंटाइन-डे मनाया जाता है जिसे अपने-अपने ढंग से मनाने के लिए लोग स्वतंत्र होते हैं। इस बार 14 फरवरी को बसंत पंचमी का पर्व था। पूजा का मुहूर्त सुबह था इसलिए फूलों की दुकानों पर भीड़ भी थी। अधिकांश फूल गेंदे के थे। इनके छोटी बड़ी मालाएं बिक रही थीं। स्वागत-सत्कार के बूके तो रोजाना ही बिकते हैं। इसी गीले धंधे से फूल वालों की गृहस्थी चलती है। माना कि 14 फरवरी को देश पुलवाना हमले की बरसी मनाने के साथ-साथ देश के शहीदों को नमन कर रहा था, पर ऐसा तो नहीं है कि वैलेंटाइन डे पर किसी को गिफ्ट देने वाले शहीदों को श्रद्धांजलि नहीं देते। संध्याकाल में सिविक सेंटर में आयोजित शहीदों को दीप-दान में भी युवा जोड़ों ने जमकर हिस्सेदारी की। वैलेंटाइन डे का विरोध कर रही एक संस्था ने युवा जोड़ों को पकड़कर उनका विवाह कराने की घोषणा की थी। संध्या तक इन्हें एक भी जोड़ा नहीं मिला जिसकी वो शादी करवा सकें। उन्होंने इसके लिए मंगलसूत्र भी खऱीद रखे थे जिसे किसी के गले में बांधा नहीं जा सका। एक सज्जन ने इसे पूरे घटनाक्रम पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि सरकार ने सभी युवाओं को काम देने की घोषणा कर रखी है। अगर युवाओं को व्यस्त रखने का यह भी एक तरीका है तो भगवान भी कुछ नहीं कर सकता। दो दिन पहले ही हेलमेट का चालान भरकर आए इस व्यक्ति ने कहा कि बाइकर्स के इस झुंड में कोई भी हेलमेट लगाए नहीं था। पुलिस उनकी मिजाजपुर्सी करने को विवश थी।