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Independent district : स्वतंत्र जिले की त्रासदी झेल रहा भाटापारा


Independent district : भाटापारा- 42 वर्षों से स्वतंत्र जिले की त्रासदी झेल रही आम जनता अब पाम्पलेट के माध्यम से अपने नेताओं से सवाल पूछ रही है कि आखिर ऐसी क्या वजह थी जिसके कारण सारी खूबियां होने के बावजूद भाटापारा को जिला नहीं बनाया गया । इस सवाल का स्थानीय नेताओं के पास कोई जवाब नहीं है । सामने चुनाव को देखते हुए गोलमोल जवाब देकर जिले के मुद्दे पर कन्नी काटते नजर आ रहे हैं।


Independent district : भाटापारा को स्वतंत्र जिला बनाने की मांग अब पाम्पलेट के माध्यम से घर-घर में पहुंच रही है। अब हर व्यक्ति स्थानीय नेताओं से सवाल कर रहा है कि उन्होंने जिला बनाने के लिए क्या प्रयास किया? और नहीं तो क्यों नहीं ? क्या यहां की जनता का कीमती वोट सिर्फ चुनाव जीतने के लिए लिया जाता है। चुनाव जीतने के बाद विकास के मुद्दे से मुंह मोड़ लेना अब इनकी दिनचर्या बन गई है।


Independent district : तीन तहसील में मरवाही और मुंगेली को जिला बनाया गया पर भाटापारा को नहीं।
दो विकासखंड में खैरागढ़ और सुकमा को जिला बनाया गया पर भाटापारा को नहीं। बड़े बड़े उद्योगों से शासन को अरबों रुपए राजस्व देने के बाद भी इसे जिला क्यों नहीं बनाया गया ? माल भाड़ा लदान से रेलवे को अरबों रुपए कमा कर देने वाले भाटापारा को जिला क्यों नहीं बनाया गया ? ऐसे अनेक सवाल है जिनका जवाब देने में यहां के नेताओं के पसीने छूट रहे हैं।


जिले की आस लिए बैठी जनता के सीने में आग सुलग रही है परंतु यहां के नेता जिले के मुद्दे को बहुत हल्के में ले रहे हैं । लेकिन जिस दिन भी विस्फोट होगा बहुत भयंकर होगा तब इनको समझ में आएगा कि हमने जिला न बनाकर कितनी बड़ी गलती की। वैसे भी जनता की लाठी में आवाज नहीं होती है।


पृथक भाटापारा जिला के लिए अब आम जनता स्वतः होकर सड़क पर उतरी रही है। गौरव पथ पर भाटापारा को जिला बनाओ की नारे लिखे स्टीकर जगह जगह नजर आ रही है। दीवारों पर भी जिला बनाओ के नारे लिखे जा रहे हैं। अलग अलग समाज के लोग जिला बनाने के लिए रैली निकाल चुके हैं। आने वाले चुनाव में इसका सीधा असर देखने को मिलेगा।

स्वतंत्र जिले की त्रासदी झेल रही आम जनता अब पाम्पलेट के माध्यम से अपने नेताओं से पूछ रही सवाल