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Intraocular flow diversion : भारत में पहली बार किया गया मस्तिष्क धमनीविस्फार का इलाज ‘इंट्रासैकुलर फ्लो डायवर्जन’ से


Intraocular flow diversion  तिरुवनंतपुरम !   केरल के तिरुवनंपुरम में किम्शहेल्थ अस्पताल की चिकित्सा टीम ने एक ऐसे मरीज पर एक अभिनव प्रयोग को सफलतापूर्वक अंजाम दिया, जो मस्तिष्क धमनीविस्फार के कारण गंभीर रूप से बीमार था।


Intraocular flow diversion मस्तिष्क धमनीविस्फार का इलाज ‘ट्रेन्जा’ उपकरण का उपयोग करके ‘इंट्रासैकुलर फ्लो डायवर्जन’ उपचार के साथ किया गया। यह मस्तिष्क धमनीविस्फार के लिए एक अभिनव उपचार है, जिसे प्रबंधित करना बहुत मुश्किल होता है।

मस्तिष्क धमनीविस्फार मस्तिष्क की रक्त वाहिकाओं में गुब्बारे जैसे उभार होते हैं। मस्तिष्क धमनीविस्फार का सामना करने वाले रोगियों को धमनीविस्फार के बढ़ने और अंततः उसके फटने के संभावित खतरा होता है, जिससे मस्तिष्क रक्तस्राव जैसी एक गंभीर स्थिति होती है, जो रोगी के जीवन के लिए घातक साबित हो सकती है।

Intraocular flow diversion  यह देश में पहली बार है कि ‘ट्रेन्जा’ उपकरण की सहायता से इंट्रासैकुलर फ्लो डायवर्जन किया गया है।

तमिलनाडु के 67 वर्षीय मरीज को पिछले एक वर्ष से लगातार सिरदर्द था और उसे किम्शहेल्थ अस्पताल में भर्ती किया गया था। उसकी एमआरआई और डिजिटल सब्ट्रैक्शन एंजियोग्राफी (डीएसए) की गई जिसके बाद उसके मध्य मस्तिष्क धमनी (एमसीए) की बाईं ओर द्विभाजन धमनीविस्फार का पता चला।

रोगी की स्थिति और धमनीविस्फार के स्थान को ध्यान में रखते हुए, चिकित्सा टीम ने ‘ट्रेन्जा’ नामक उपकरण का उपयोग करके ‘फ्लो डायवर्जन’ तकनीक अपनाने का निर्णय लिया। उसके ग्रोइन एरिया आसपास एक पंचर बनाया गया, और ट्रेन्ज़ा उपकरण को माइक्रोकैथेटर के माध्यम से धमनीविस्फार में तैनात किया गया। ट्रेन्ज़ा एक प्रवाह अवरोधक की तरह कार्य करता है जिससे रक्त प्रवाह डायवर्ट होता है और ठहराव उत्पन्न होता है।

इस प्रक्रिया का नेतृत्व करने वाले न्यूरो इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी के वरिष्ठ सलाहकार और क्लिनिकल लीड डॉ. संतोष जोसेफ ने कहा “ ट्रेन्ज़ा के उपयोग से इंट्रासेक्यूलर फ्लो डायवर्जन ज्यादा सुरक्षित है, क्योंकि इसे संभालना ज्यादा सटीक और आसान है।”

उन्होंने आगे कहा कि मस्तिष्क के कुछ महत्वपूर्ण क्षेत्रों में बड़े और जटिल धमनीविस्फार के इलाज में ट्रेन्ज़ा उपकरण का उपयोग करना आसान है और मस्तिष्क धमनी द्विभाजन के लिए भी इसकी सिफारिश की जाती है। डॉ. संतोष जोसेफ ने यह भी कहा कि मरीज ठीक हो गया है और उसे अगले दिन छुट्टी दी जा सकती है।

इस दो घंटे तक चली प्रक्रिया में डॉ. मनीष कुमार यादव, सलाहकार, डॉ. दिनेश बाबू, एसोसिएट कंसल्टेंट, न्यूरो इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी विभाग, डॉ. जयंत आर शेषन, एसोसिएट कंसल्टेंट, न्यूरो एनेस्थीसिया विभाग शामिल रहे।