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छत्तीसगढ़ प्रदेश का एक विश्वसनीय न्यूज पोर्टल है, जिसकी स्थापना देश एवं प्रदेश के प्रमुख विषयों और खबरों को सही तथ्यों के साथ आमजनों तक पहुंचाने के उद्देश्य से की गई है।
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Kala Academy Chhattisgarh Culture Council : दुर्ग। कला अकादमी छत्तीसगढ़ संस्कृति परिषद संस्कृति विभाग और शासकीय डॉक्टर वामन वासुदेव पाटणकर कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय दुर्ग के संयुक्त तत्वाधान में तीन दिवसीय भरतनाट्यम पदम कार्यशाला की शुरुआत मंगलवार को हुई। महाविद्यालय में 5 अक्टूबर तक चलने वाली इस कार्यशाला की शुरुआत करते हुए प्राचार्य सुशील चंद्र तिवारी ने आयोजन की सराहना करते हुए कहा कि यह कार्यशाला छात्राओं के लिए उपयोगी साबित होगी। कला अकादमी के अध्यक्ष योगेंद्र त्रिपाठी ने अपने उद्बोधन में कहा कि इस कार्यशाला से छात्राओं को शास्त्रीय नृत्य पद्धति पर बहुत कुछ सीखने मिलेगा। उन्होंने छत्तीसगढ़ शासन द्वारा गठित कला अकादमी की गतिविधियो से भी उपस्थित लोगों को अवगत कराया। उप प्राचार्य डीसी अग्रवाल ने भी छात्राओं को कार्यशाला के लिए शुभकामनाएं दी।
इससे पहले नृत्य विभाग की प्रमुख डॉ. ऋचा ठाकुर ने अपने स्वागत उद्बोधन मे आयोजन के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने छात्राओं को शास्त्रीय नृत्य पद्धति भरतनाट्यम के तकनीकी पक्ष की जानकारी देते हुए कहा कि विभिन्न स्टेप्स को मिलाकर यदि हम परफॉर्म कर रहे हैं, तो उसे तमिल में मार्गम कहा गया है। यह नृत्य पक्ष से लेकर अभिनय पक्ष तक और विलंबित से द्रुत गति तक जाता है। इस कार्यशाला में महाविद्यालय की 40 से ज्यादा छात्राएं, नृत्यति कला क्षेत्रम की छात्राएं व शहर के अन्य हिस्सों से आईं छात्राएं हिस्सा ले रही हैं। कार्यशाला में महाविद्यालय के संगीत विभाग प्रमुख मिलिंद अमृत फले, शिल्पकार मयूर गुप्ता और कोरियोग्राफर अनिल तांडी सहित प्राध्यापकगण व अन्य लोग भी मौजूद थे।
Kala Academy Chhattisgarh Culture Council : भावनाओं और कहानियों को व्यक्त करते हैं पदम में
कार्यशाला में नृत्य गुरु डॉ जी. रतीश बाबू ने पहले दिन भरतनाट्यम में पदम का महत्व बताया। उन्होंने छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि आम तौर पर अन्य नृत्यों की तुलना में पदम बहुत धीमी गति से चलने वाले होते हैं। यह पूरी तरह से अभिव्यक्ति और कहानी कहने और एक भावनात्मक एकालाप या संवाद व्यक्त करने पर केंद्रित हैं। कई पद एक नायिका की अवधारणा पर केंद्रित होते हैं जो अपने नायक के प्रति अपने प्रेम को व्यक्त करती है। अक्सर नायक हिंदू पौराणिक देवताओं में से एक होता है। उन्होंने बताया कि कुछ पदम शिशु कृष्ण और उनकी माँ यशोदा के बीच के संबंध को दर्शाते हैं। वहीं कुछ राम और सीता के बीच व्यापक रूप से प्रेम को दर्शाते है। उन्होंने कहा कि पदम का सार भावनाओं और कहानियों को व्यक्त करना है।