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छत्तीसगढ़ प्रदेश का एक विश्वसनीय न्यूज पोर्टल है, जिसकी स्थापना देश एवं प्रदेश के प्रमुख विषयों और खबरों को सही तथ्यों के साथ आमजनों तक पहुंचाने के उद्देश्य से की गई है।
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राम मंदिर ट्रस्ट ने 22 जनवरी 2024 को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर पीएम मोदी को न्योता भेजा है ,
अयोध्या में 22 जनवरी 2024 को रामलला विराजमान होंगे. रामलला के पूजन के लिए राम मंदिर ट्रस्ट की तरफ से पीएम मोदी को न्योता भेजा गया गया है. हालांकि अभी तक प्रधानमंत्री कार्यालय की तरफ से पीएम मोदी के कार्यक्रम में शरीक होने को लेकर कोई जवाब नहीं दिया गया है. राम मंदिर ट्रस्ट की तरफ से पीएम मोदी को भेजे गए न्योते की जानकारी शेयर की गई थी. श्रीराम की नगरी अयोध्या में 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होनी है, जिसकी तैयारियां की जा रही हैं.
22 जनवरी 2024 वो तारीख है, जिस दिन राम मंदिर के दर्शन के लिए करोड़ों भक्तों का इंतजार खत्म हो जाएगा. इस दिन भगवान रामलला गर्भगृह में विराजमान होंगे. रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के वक्त देश के सभी क्षेत्रों के मंदिरों को सजाया जाएगा. इस कार्यक्रम को देशभर के रामभक्त देख सकें, इसलिए इस प्राण प्रतिष्ठा को वर्चुअली देशभर में दिखाने की व्यवस्था की जा रही है. वहीं क्राउड मैनेजमेंट को लेकर भी योजना तैयार है. प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के दौरान वास्तु पूजा से लेकर विभिन्न अनुष्ठान और पूजन भी किए जाएंगे.
कहां तक पहुंचा राम मंदिर का निर्माण
अभी राममंदिर में रामलला के गर्भगृह के ऊपरी हिस्से पर निर्माण कार्य जारी है. बताया जा रहा है कि अक्टूबर 2023 तक राम मंदिर का प्रथम तल बनकर तैयार हो जाएगा और 22 जनवरी 2024 को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होगी. प्राण प्रतिष्ठा का ये कार्यक्रम करीब सात दिन तक चलेगा. इसके बाद राम मंदिर में रामभक्त रामलला के दर्शनों के लिए आ सकेंगे.
लकड़ी को परिसर में ही संरक्षित किया गया है। मंदिर के तीन तलों लिए कुल 44 दरवाजे निर्मित होने हैं। दरवाजों का निर्माण दो चरणों में होगा। प्रत्येक चरण के लिए अलग-अलग कारीगरों का दल यहां आएगा। अभी पहले चरण के लिए दस कारीगर यहां आ चुके हैं। सभी ने पहले परिसर में ही कार्यशाला तैयार की। अब दरवाजे निर्मित करना प्रारंभ किया है। ये कारीगर लकड़ी की प्लेनिंग करेगे। दूसरे चरण में भी हैदराबाद से दस कारीगरों का दल आएगा, जो इनकी गढ़ाई करेगा।
दरवाजों पर आकर्षक आकृतियां गढ़ी जाएंगी। मंदिर के मुख्य दरवाजे पर स्वागत का प्रतीक उकेरा जाएगा। इसी तरह ऐतिहासिक व पौराणािक महत्व के प्रतीकों से दरवाजे सज्जित होंगे। गढ़ाई पूरी होने के बाद एक करीगरों का दल फिर यहां पहुंचेगा, जो इन गढ़ी हंई लकड़ी से एक दूसरे से जोड़ कर दरवाजे को अंतिम रूप से आकार देंगे।