हमारे बारे में
छत्तीसगढ़ प्रदेश का एक विश्वसनीय न्यूज पोर्टल है, जिसकी स्थापना देश एवं प्रदेश के प्रमुख विषयों और खबरों को सही तथ्यों के साथ आमजनों तक पहुंचाने के उद्देश्य से की गई है।
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Primitive man इस संसार में आदि मानव के रूप में, इंसानों की पहचान हुई, फिर भोजन की व्यवस्था में, वे, विचरण करने लगे, आपस में परिचय हुआ, कुछ पहचान बनी, मुलाकातें बढ़ी, इशारो में, रूचि की अभिव्यक्ति का विस्तार हुआ, नहीं मिलने पर, सूचनाओं का आदान प्रदान करने के लिए, स्थानीय पक्षियां ही, इसके लिए एक मात्र माध्यम बन गया था, धीरे धीरे, भाषाओं का ज्ञान हुआ, संस्कृति, संस्कार, और परंपराओं का सृजन हुआ,
Primitive man सन्देश वाहक, भेजे जाने लगे, फिर कागज कलम दवात, की दुनिया में प्रवेश करते ही, मूलभूत आवश्यकताओं के लिए, कानून व्यवस्था, का विस्तार किया गया, शिक्षा के महत्व, एवमं जरूरत को विशेष ध्यान दिया गया, अध्ययन के लिए विद्यालय खोले गये, पत्रों के माध्यम से दूरस्थ अंचल में, सूचनाओं का आदान प्रदान होने लगा, इसे एक सारणी क्रम में सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से, ब्रिटेन के एक अंग्रेजी शिक्षक और समाज सुधारक रोलैंड हिल, ने, पेनी ब्लैक डाक टिकट 6 मई 1840 को इस्तेमाल करने के लिए जारी किया गया, जिसमें 14 ग्राम वजन तक, पत्र भेजने की, दूरी चाहे कितनी भी हो, इस आधार पर, काले ब्लेक ग्राउंड में, महारानी विक्टोरिया का चित्र बनाया था, स्टिकर के समान डाक टिकट का, जीवन काल एक वर्ष का था, और उसे वाटर मार्क कागज पेपर पर छापा गया था।
Primitive man भारत वर्ष में, स्वतंत्रता उपरांत, पहला डाक टिकट 21 नवंबर 1947 को जारी हुआ, इसका उपयोग केवल देश के अंदर पत्र भेजने के लिए किया गया था, इस डाक टिकट की कीमत साढ़े तीन आना अर्थात 14 पैसा था, 1947 को नेहरू जी ने आजादी के बाद, अपने भाषण का समापन, जय हिन्द से किया था, पहले डाक टिकट में, अंग्रेजी सम्राट जार्ज की ही मुखाकृति ही उपयोग में आये, लेकिन, मुहर जय हिंद का लगाये, लेकिन पहली डाक टिकट जिसे स्वतंत्रता दिवस के बाद जारी किया गया, उसमें अशोक के राष्ट्रीय चिन्ह का चित्र, मुद्रित किया गया था, इसकी कीमत डेढ़ आना था, विदेश भेजने के लिए डाक टिकट D C चार विमान का चित्र बना हुआ था, इसकी राशि बारह आना यानी 48 पैसे की थी उस समय 64 पैसे सोलह आना होता था, एक रुपया 64 पैसे का होता था।
इकन्नी, चवन्नी और अठन्नी का ही प्रचलन था।