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Indian : लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल


Indian : लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल जी का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात प्रान्त के नडियाद में हुआ था, अपने आस – पास के लोगों के लिए सहज सरल, किन्तु दृढ़ निश्चय व्यक्ति थे, 36 वर्ष की उम्र में बैरिस्टर बनने इंग्लैंड गये, बैरिस्टर बनने के बाद , अहमदाबाद के सबसे सफल बैरिस्टर बने, महात्मा गांधी के आदर्शों से प्रेरित होकर, भारत की स्वतंत्रता में शामिल होकर, कर भुगतान (अंग्रेजों द्वारा, लगाया जाने वाला टेक्स) के विरोध में, अवज्ञा आंदोलन कर उस वर्ष राजस्व कर भुगतान, अंग्रेजों से माफ कराने में सफलता हासिल हुई, 1920 में गुजरात प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बने, जो 1945 तक रहे, गांधी जी के असहयोग आंदोलन के पूर्ण रूप से समर्थक थे, 1922 , 1924 , 1927 , में अहमदाबाद नगर पालिका अध्यक्ष के उत्तरदायित्यों का निर्वहन किया !


Indian : अंग्रेजों द्वारा भारतीय ध्वज फहराने को प्रतिबंधित करने वाले कानून के खिलाफ 1923 में नागपुर में, सत्याग्रह आंदोलन का नेतृत्व किया, 1931 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर निर्वाचित हुए, 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में एक प्रमुख नेता थे, लेकिन उनके प्रभाव को देखते हुए अंग्रेजों ने उन्हें जेल में कैद कर दिया गया था, 1945 में रिहा हुए, 1947 को जब भारत आजाद हुआ, तो स्वतन्त्र भारत के पहले उप प्रधानमंत्री एवमं गृहमंत्री रहते हुए उन्होंने 565 अर्द्ध – स्वायत्त रियासतों का एकत्रीकरण करके (जो लगभग भारत का 40 प्रतिशत क्षेत्र था,) भारत को एक सूत्र में बांधने का श्रेय भी इन्हीं को मिला है,

Indian : जम्मू एवमं कश्मीर जूनागढ़ हैदराबाद स्टेट केवल तीन रियासत को छोड़कर, सभी रियासत स्वेच्छा से भारत में विलय के प्रस्ताव को स्वीकार किया,
जूनागढ़ जो सौराष्ट्र के पास छोटी सी रियासत थी, 15 अगस्त 1947 को वहाँ के नवाब पाकिस्तान में विलय की घोषणा कर दी थी, जो चारों तरफ से भारत से घिरा हुआ क्षेत्र था, और वहाँ की ज्यादातर जनसंख्या हिन्दू थी, सरदार पटेल जी ने व्ही. पी. मेनन के साथ मिलकर एक अभियान के तहत 9 नवंबर 1947 को जूनागढ़ रियासत को भारत में विलय कराया,
इसीप्रकार, हैदराबाद के निज़ाम से मोर्चा सम्हालते हुए, 13 सितंबर 1948 को हैदराबाद रियासत को भी भारत में विलय कराने में सफलता हासिल हुई, जम्मू एवमं कश्मीर में सेना भेजकर विलय के प्रस्ताव पर नेहरू एवमं माउन्टबेटन के असहमत होने एवमं कश्मीर के सम्राट का भारत में आने तक इंतजार करने के निर्णय लेने के कारण, बाद में सम्राट के आने पर सरदार पटेल ने भारत के सैन्य अधिकारियों के माध्यम से श्रीनगर, बारामुला दर्रे को सुरक्षित कर आक्रमणकारियों से अधिक क्षेत्र प्राप्त कर लिया, कश्मीर नीति के कारण नेहरू जी से उनका विरोध का सामना करना पड़ा, क्योंकि नेहरू जी ने कश्मीर समस्या को एक अंतरराष्ट्रीय समस्या, बतलाकर, अपने अधिकार क्षेत्र में ले लिया था ।


Indian : सरदार पटेल जी ने डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी को मसौदा समिति के अध्यक्ष, और भारत के संविधान लिखने की प्रक्रिया के लिए नियुक्त करने में, अहम भूमिका निभाई थी, वह एक साहसी और , दृढ़ निश्चियी व्यक्ति थे, वे एक भारत के लौह पुरुष के नाम से भी जाने जाते हैं, 15 दिसंबर 1950 को दिल का दौरा पड़ने के कारण उनका निधन हो गया।
उनके द्वारा किये गए ऐतिहासिक महत्व के कार्यों, एवमं बिना किसी भेदभाव के सबको एक सूत्र में जोड़ने के लिए हमेशा याद किया जायेगा।